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"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29(Now Closed)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

इस बार से छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें |

प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.

यह चित्र भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित वाघा स्थान पर हो रहे दोनों देशों के सामुहिक ड्रिल का है जहाँ एक-दूसरे के देशों में जाने के लिये फाटक बने हैं. 

 

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि  छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें.  ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

नोट :-

(1) 14 अगस्त 2013 तक Reply Box बंद रहेगा,  15 अगस्त 2013 दिन वृहस्पतिवार से 16अगस्त 2013 दिन शुक्रवार यानि दो दिनों के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 29  की आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ. 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी । 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.  

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

केवल कड़े बयान, यहाँ बाकी नहिं कुब्बत | 
कल देते गर मार, आज नहिं होती *नौबत ||

बहुत सुन्दर!रविकर जी

आभार आदरणीय-

आदरणीय रविकर सर जी बेहद सुन्दर कुण्डलिया छंद बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय रविकर जी |

सटीक बात साझा करती हुयी कुंडली रचना 

बधाई आदरणीय रविकर जी!

अच्छी कुंडली आदरणीय, कुंडली रचना में जवाब नहीं आपका, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय रविकर जी । 

आदरणीय रविकर भाईजी..

नौबत जैसे शब्द का, सुन्दर हुआ प्रयोग
यमक श्लेष पर हे प्रभो ! सार्थक पकड़ सुयोग
सार्थक सुगढ़ सुयोग, शब्द से खेला करिये  
ओबीओ का मंच, कहे.. बस क्षमता धरिये
चित्र हुआ साकार, भाव शब्दों में रोचक
लेकिन दे दें अर्थ, शब्द ना होवे नौबत 

सादर बधाइयाँ .. .

आदरणीय गुरुजनों, मित्रों एवं पाठकों कल रात से तेज बुखार से ग्रसित होने के कारण छंदोत्सव में अधिक समय ने देने पाने के लिए क्षमा चाहता हूँ, एक प्रयास आप सभी को समर्पित कर रहा हूँ कृतार्थ करें. 

वीर छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति १६-१५ मात्रा पर नियत होती है. छंद में विषम चरण का अंत गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघु लघु गुरु (।।ऽ) या गुरु लघु लघु (ऽ ।।) से तथा सम चरण का अंत गुरु लघु (ऽ।) से होना अनिवार्य है. इसे आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहते हैं. कथ्य अकसर ओज भरे होते हैं.

इस छंद को आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहा जाता है.

 

पाकिस्तानी थर थर काँपे, वीर भरें जब जब हुंकार,
गीदड़ जैसे डरके भागें, हिन्द शेर जब करें शिकार,

जूता मेरा हिन्दुस्तानी, नोक बड़ी तीखी तलवार
जूते की भाषा तुम समझो, रास न आता तुमको प्यार,  
 
मैं भारत का वीर सिपाही, तू नापाकी काला चोर,
चाहे जितनी कोशिश करले, नहीं चलेगा हमपे जोर,

मन के भीतर मैल भरा है, और इरादें हैं नापाक
पाँव उठा कर दिल करता है, तोडूं तेरी गन्दी नाक

सर पर पगड़ी लाल चढ़ाके, और पहन खाकी परिधान
तेरी ऐसी तैसी कर दूँ, जब चाहूँ मैं पाकिस्तान..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

गीदड़ जैसे डरके भागें, हिन्द शेर जब करें शिकार,...kya oj hai shabdo me..sunder आल्हा छंद अरुन शर्मा 'अनन्त' bhai..

हार्दिक आभार आदरणीय अविनाश सर जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

वाह वाह अरुण मजा आगया सटीक चित्रण 

वीर छंद के लिए बधाई स्वीकारें 

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया सरिता जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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