For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

//जनाब नवीन चतुर्वेदी जी //

खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत|
बला की है ये दस्तकारी मुहब्बत ! (१)

अजब वाक़या, प्रेम-मूरत किसन ने|
कुरुक्षेत्र जा कर, नकारी मुहब्बत|  (२)

कन्हैया कों ऊधौ संदेसौ यै दीजो|
हमें तौ परी भौत भारी मुहब्बत|  (३)

कहीं मस्त हो के बहारों में झूमे|
कहीं पे करे पल्लेदारी* मुहब्बत|४|

//जनाब राणा प्रताप सिंह जी//
ये खादी के कुर्ते ये मखमल के गद्दे
इन्हें कोई समझा दे क्या है शहादत (५)

//जनाब शेषधर तिवारी जी//

छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे

लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत  | (६)


//जनाब गणेश बागी जी//
तेरे दिल मे जो है मुझे भी पता है,
मगर तेरे मुँह से है सुनने की चाहत, (७)


//जनाब दानिश भारती जी//
नदी,  जा मिली  अपने  सागर-पिया  से
सुहागिन बनी है   कुँवारी  मुहोब्बत (८)

//जनाब अरुण कुमार पाण्डेय "अभिनव" जी//
बहुत दुश्मनी की अमाँ छोड़ भी दो

करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)


//जनाब दिगम्बर नासवा जी//

उमड़ती घटाएं महकती फिजायें

किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत  (१०)


है बदली हुई वादियों की फिजायें

पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत  (११)


तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)


//जनाब भास्कर अग्रवाल जी//

जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)


//जनाब डॉ संजय दानी जी //
हुई तोड़ने की कई कोशिशें पर,
सदा चोट खाकर हुई और उन्नत। (१४)

रसोई मेरी सूनी सूनी है दानी,

उसे दस्ते-मासूम की है ज़रूरत। (१५)

कभी वस्ल की फ़स्लें दिल से उगाती ,

कभी हिज्र की कास्तकारी मुहब्बत। (१६)


//आचार्य संजीव सलिल जी//
महुआ है तू महमहा री मुहब्बत.
लगा जोर से कहकहा री मुहब्बत.! (१८)

कभी मान का पान तो बन न पायी.
बनी जां की गाहक सुपारी मुहब्बत.(१८) .

//जनाब शेखर चतुर्वेदी जी//

मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)


//जनाब अरविन्द चौधरी जी //
मज़ा शेर का तो तभी खूब आए,
अगर काफ़िया साथ लाए अलामत ! (२०)

//जनाब वीरेन्द्र जैन जी//
नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,

ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत !  (२१ )


है बेफ़िक्र मदमस्त झोंका हवा का
वो सोलह बरस की कुँवारी मोहब्बत ! (२२)

बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत  ! (२३)


//जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी//
नहीं हाथियों पर जो रक्खोगे अंकुश
चमन नष्ट होगा मरेगा महावत ।२४।

//जनाब मोईन शम्सी जी//
है जिस दिन से देखा वो नूरानी पैकर
नशे जैसी दिल पे है तारी मुहब्बत । (२५)



//जनाब नवीन चतुर्वेदी जी //

खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत|
बला की है ये दस्तकारी मुहब्बत ! (१)

अजब वाक़या, प्रेम-मूरत किसन ने|
कुरुक्षेत्र जा कर, नकारी मुहब्बत|  (२)

कन्हैया कों ऊधौ संदेसौ यै दीजो|
हमें तौ परी भौत भारी मुहब्बत|  (३)

कहीं मस्त हो के बहारों में झूमे|
कहीं पे करे पल्लेदारी* मुहब्बत|४|

//जनाब राणा प्रताप सिंह जी//


ये खादी के कुर्ते ये मखमल के गद्दे

इन्हें कोई समझा दे क्या है शहादत (५)

//जनाब शेषधर तिवारी जी//

छुपे घोंसलों में रहें डर क़े बच्चे

लिए चोंच चारा पधारी मुहब्बत  | (६)

//जनाब गणेश बागी जी//

तेरे दिल मे जो है मुझे भी पता है,
मगर तेरे मुँह से है सुनने की चाहत, (७)


//जनाब दानिश भारती जी//

नदी,  जा मिली  अपने  सागर-पिया  से

सुहागिन बनी है   कुँवारी  मुहोब्बत (८)
//जनाब अरुण कुमार पाण्डेय "अभिनव" जी//

बहुत दुश्मनी की अमाँ छोड़ भी दो

करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत | (९)


//जनाब दिगम्बर नासवा जी//


उमड़ती घटाएं महकती फिजायें

किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत  (१०)

है बदली हुई वादियों की फिजायें

पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत  (११)

तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत (१२)

//जनाब भास्कर अग्रवाल जी//

जीत जाती ये लगाकर दांव जिंदगी का
है सबसे बड़ी जुआरी मुहब्बत | (१३)

//जनाब डॉ संजय दानी जी //

हुई तोड़ने की कई कोशिशें पर,
सदा चोट खाकर हुई और उन्नत। (१४)

रसोई मेरी सूनी सूनी है दानी,

उसे दस्ते-मासूम की है ज़रूरत। (१५)

कभी वस्ल की फ़स्लें दिल से उगाती ,

कभी हिज्र की कास्तकारी मुहब्बत। (१६)


//आचार्य संजीव सलिल जी//

महुआ है तू महमहा री मुहब्बत.
लगा जोर से कहकहा री मुहब्बत.! (१८)

कभी मान का पान तो बन न पायी.
बनी जां की गाहक सुपारी मुहब्बत.(१८) .

//जनाब शेखर चतुर्वेदी जी//

मैं कूचा ए जानां से जब भी हूँ गुज़रा |
बदन में अज़ब सी हुई है हरारत || (१९)


//जनाब अरविन्द चौधरी जी //

मज़ा शेर का तो तभी खूब आए,
अगर काफ़िया साथ लाए अलामत ! (२०)


//जनाब वीरेन्द्र जैन जी//

नहीं वास्ता इसका मज़हब से कोई,

ऩफीसा की मोहन से यारी मोहब्बत !  (२१ )


है बेफ़िक्र मदमस्त झोंका हवा का
वो सोलह बरस की कुँवारी मोहब्बत ! (२२)

बजाकर कटोरी वो नाज़ो अदा से
रसोई से हुमको पुकारी मोहब्बत  ! (२३)


//जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी//

नहीं हाथियों पर जो रक्खोगे अंकुश
चमन नष्ट होगा मरेगा महावत ।२४।

//जनाब मोईन शम्सी जी//

है जिस दिन से देखा वो नूरानी पैकर
नशे जैसी दिल पे है तारी मुहब्बत । (२५)

--------------------------------------------------




Views: 1421

Reply to This

Replies to This Discussion

Bhaut bhaut aabhar.. sir... aapne mujhe is list me shamil kiya..iske liye bahut bahut dhanyawad..
वीरेन्द्र भाई, "  नफीसा से मोहन की यारी" जितनी बर पढ़ा, दिल से एक ही आवाज़ निकली - वाह !
धन्यवाद योगराज जी..मुझे ख़ुशी है के आपको शेर पसंद आया
भास्कर भाई, एक तो दाव और वो भी ज़िन्दगी का, उस से भी ऊपर जीतने की बात -
अब इस जज्बे को कोई सलाम न करे तो शायर के साथ न-इंसाफी नहीं होंगी ??

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service