For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं भक्त सुदामा वाला हूँ

मौलिक एवं अप्रकाशित

तुम में ही लीन प्रान मेरे , प्राणों में मेरे प्रियवर हो 
इसलिये विलग होकर भी तुम, मुझमे ही सदा निवासित हो 
अलके पलकें भी रो रोकर , दो चार अश्रु ही चढ़ा रही
मेरे भगवन मेरे प्रियतम,  बस राह धूल ही हटा रही

---

खुद के अन्दर तुम तक जाना, चरणोदक पीकर जी जाना 
इस धूल धूसरित मन से ही , अपने प्रियतम में लग जाना   
आकुल व्याकुल इस साधक पर, कुछ प्रेम सुधा बरसा जाना   
ये कठिन साधना साधक की , खुद में ही तुमसे मिल जाना 
 ---           
खुद के अन्दर झाँका हमने , तेरी सूरत ही मुझे मिली 
वात्सल्य भाव ममता झांकी , तेरी मूरत ही बनी मिली 
मीरा सी भक्ति नहीं मुझमें , चरणामृत पीने वाला हूँ 
राधा सी शक्ति नहीं मुझमे , मैं भक्त सुदामा वाला हूँ    

 ---     

जुगुनू सा भटक रहा भगवन, मैं रजनी की इस साजिश में 

मन मीन बिना जल तड़प रहा, तुमसे मिलने की कोशिश में  

मुझसे मेरी इस मैं मैं को , लो मुझसे छीन अहम मेरा  

चरणों में रहकर चरणों  में ,  सर्वस्व समर्पण है मेरा

 

आशीष श्रीवास्तव ( सागर सुमन ) 

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 7:00pm

ईश चरणों में समर्पित एक साधक के मन के सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई आ०  आशीष जी 

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 10:07pm

आदरेय JAWAHAR LAL SINGH जी , पंकितया पसंद आई साभार धन्यवाद

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 5, 2013 at 9:19pm

जुगुनू सा भटक रहा भगवन, मैं रजनी की इस साजिश में 

मन मीन बिना जल तड़प रहा, तुमसे मिलने की कोशिश में  

मुझसे मेरी इस मैं मैं को , लो मुझसे छीन अहम मेरा  

चरणों में रहकर चरणों  में ,  सर्वस्व समर्पण है मेरा

बहुत ही सुन्दर!

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:30pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी : बधाई के लिए आभार

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:29pm

आदरणीय Laxman Prasad Ladiwala जी 

बधाई के लिए ह्रदय से सादर आभार 

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:28pm

श्री रविकर जी , आप की बधाई व रचना समेत बधाई देने के लिए ह्रदय से धन्यवाद 

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:27pm

श्री जितेन्द्र 'गीत' जी , रचना पर बधाई के लिए धन्यवाद 

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:27pm

आदरणीय मीना जी  : साभार 

Comment by Ashish Srivastava on September 5, 2013 at 5:24pm

Sri Ramesh kumar chauhan Ji 

सराहना और एक नए छंद विधा पर अभ्यास के पश्चात मैंने यह रचना लिखी थी , आप ने उत्साह वर्धन किया , बहूत बहूत आभार

Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 3:34pm

बहुत सुंदर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service