आदरणीय सदस्य गण,
यथोचित अभिवादन,
जैसा कि आप सभी को ज्ञात है, ओ बी ओ पर प्रत्येक माह दो पुरस्कार यथा "महीने का सक्रिय सदस्य" और "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" प्रत्येक रुपये 1100 और प्रमाण पत्र, प्रायोजकों के सौजन्य से दिये जाते हैं, वर्तमान प्रायोजक नें दिसंबर-13 के पश्चात पुरस्कार व्यय देने में अरुचि दिखाई है, फलस्वरूप उक्त दोनों पुरस्कार दिसंबर-13 तक चला कर बंद करने का निर्णय करना पड़ रहा है ।
विगत कई महीनों से पुरस्कार प्राप्त सदस्यों को पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र भेजे नहीं जा सकें हैं, जिन्हें शीघ्र भेजने का प्रयास किया जा रहा है, कृपया सहयोग बनाये रखें ।
सादर ।
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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ओ बी ओ प्रबंधन का अंतिम निर्णय / दिनांक ०१.०१.२०१४
आदरणीय सदस्यगण,
इस पोस्ट पर काफी चर्चा हो चुकी है. अब समय आ गया है कि इस सम्बन्ध में प्रबंधन स्तर से अंतिम निर्णय ले लिया जाय और इसकी आधिकारिक घोषणा हो. निर्णय साझा करने से पहले कर्तव्य यह बनता है कि कुछ आवश्यक बातें सबके साथ साझा की जायँ.
इसी चर्चा में वर्त्तमान पृष्ठ ३ पर आदरणीय अलबेला खत्री जी ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाते हुए जनवरी २०१४ से दिसंबर २०१४ तक के लिए पुरस्कार राशि को वहन करने के ऊपर सहमति प्रदान करते हुए आवश्यक चेक भेजने की घोषणा कर दी थी. इसपर प्रबंधन द्वारा इस घोषणा का स्वागत करते हुए अलग से मेल भेज कर पुरस्कार राशि को भेजने की बात की गयी. जिसपर उनके द्वारा समय बढ़ाते हुए अंतिम रूप से ७ जनवरी-१४ को किश्तवार राशि भेजने की बात की गयी.
हालाकि उनके द्वारा यह भी कहा गया था कि ओ बी ओ इस निमित्त घोषणा कर दे और निर्धारित राशि समय से भेज दी जायेगी.
किन्तु पूर्व के अनुभवों के आधार पर बगैर राशि प्राप्त किये तदनुरूप घोषणा करना प्रबंधन को उचित नहीं लगा. अचानक आज दिनांक ३१/१२/२०१३ की सुबह आदरणीय अलबेलाजी "मुझे यह मामला स्थगित करना पड़ेगा" कह कर अपनी पूर्व सहमति से मुकर गए.
संक्षेप में अभी इतना ही कहना उचित है.
हाँ, यदि आवश्यक जान पड़ा तो मेल की संपूर्ण शृंखला पटल पर रखी जायेगी.
इस टिप्प्णी के माध्यम से इतना अवश्य साझा करना है कि जो सदस्य या प्रायोजक प्रयोजन अथवा विज्ञापन देने हेतु प्रस्ताव रखते हैं, उनसे प्रबन्धन नम्रता पूर्वक अनुरोध करता है कि ओबीओ प्रबन्धन नेक साहित्यिक कार्य में जिस गम्भीरता से जुड़ा है, आप भी कृपया गम्भीरतापूर्वक ही प्रस्ताव आदि की घोषणा किया करें या करवाया करें. ताकि दोनो इकाइयाँ किसी किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति से बच सके.
आप सभी सदस्यो के विचारों का स्वागत करते हुए ओ बी ओ प्रबंधन जनवरी २०१४ के प्रभाव से यह निर्णय करता है कि..........
१- उक्त दोनों सम्मान यथा "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" और "महीने का सक्रिय सदस्य" सम्मान पूर्व की तरह यथावत चलते रहेंगे.
२- नगद पुरस्कार प्रायोजक उपलब्ध न होने तक नहीं दिया जायेगा,
३- प्रशस्ति पत्र भौतिक रूप में डाक द्वारा भेजा जायेगा.
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन
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भाई शिज्जू जी, निर्भर यह करता है कि आप इस तरह के दवाब को किस तरह से लेते हैं. यदि सकारात्मक रूप से लेते हैं तो उत्तरोत्तर विकास होगा, यदि नकारात्मक रूप से लेंगे तो आप स्वयं को बड़ा मानने लगेंगे और धीरे धीरे मंच प अपने को अभिव्यक्त करने से बचने लगेंगे.
इस परिस्थिति से हम सभी गुजरते हैं. आये दिन गुजरते हैं.
एक बात और समझें, भाई शिज्जूजी, कि यही ऐसा मंच है जो अपने प्रधान सम्पादक की ग़ज़ल के मिसरों पर लाल रंग लगा सकता है यदि वे बेबह्र हुए. हमारी-आपकी, इसकी-उसकी बात ही क्या है !
साहित्यिक मंच पर कोई उम्र या स्वयं के अन्धाधुन्ध प्रचार से नहीं, बल्कि अपनी व्यावहारिक समझ और साहित्यिक ज्ञान से बड़ा और, आगे, महान होता है.
खुल कर अपने को अभिव्यक्त करें भाईजी.
सीखने के क्रम में स्वयं को छिपाना कैसा आचरण है वह आप भी जानते हैं.
शुभम्
सहमत
:-)
हममें से हर सदस्य इस मंच के प्रति अपने कर्तव्य और जवाबदारी को समझेगा ऐसी अपेक्षा है ..साधुवाद और प्रणाम आदरणीय श्री !
सहमत
आदरणीय एड्मिन जी
मै आदरणीय अभिनव की बात से पूर्ण तया सहमत हूँ , बिना मानदेय के इस अनुपम परिपाटी को चलने दिया जाय !! आप गुणी जनो की स्वीकृति किसी भी रचना को मिलना ही सच्चा मानदेय है !!
सादर !
आपकी सकारात्मक सोच के प्रति हम आभारी हैं आदरणीय गिरिराजजी.
आभार सहित अनुमोदन आदरणीय गिरिराज जी
अभिनव जी की बात से सहमत हु महोदय , नाम की घोषणा अवश्य करे , प्रमाणपत्र ओन लाइन जारी हो और मै स्वं प्रयोजक की खोज करने मे लगूंगा ....कोई न कोई रास्ता निकल आयेंगा ....पर ये काफिला तो चलता रहेंगा ..........हम साथ है |
आद०
मानदेय होना जरूरी नहीं है ,लेकिन ये सिलसिला अनवरत चलने से रचनाकार को
जो प्रोत्साहन मिलता है ,वो जरूरी है वो ओर अच्छा लिखने की प्रेरणा देता है
सादर
//नाम की घोषणा अवश्य करे , प्रमाणपत्र ओन लाइन जारी हो और मै स्वं प्रयोजक की खोज करने मे लगूंगा ....कोई न कोई रास्ता निकल आयेंगा ....पर ये काफिला तो चलता रहेंगा ..........हम साथ है//
भाई अमन कुमारजी, आपके सकारात्मक विचारों और अपने आप को गंभीरता से व्यवस्था की सोच के साथ संलग्न करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
पुरस्कार, सनद, पारितोषिक वस्तुतः किसी के द्वारा किये गये कार्य के प्रति स्वीकृति के भाव को ही दर्शाते हैं. यह सिलसिला चलता रहे इसके लिए साहित्य के प्रति जागरुक प्रायोजकों की महती भूमिका होती है. यह व्यक्तिगत प्रयास के स्तर से कहीं बड़ी बात होती है.
आपका सहयोग इस मंच को मिल रहा है इसके लिए हम आपके आभारी हैं.
शुभ-शुभ
abhinav ji se sahmat hun .hardik aabhar
ओ.बी.ओ. के दोनों पुरस्कार महत्वपूर्ण रहे हैं | इसे प्राप्त कर रचनाकार और सक्रिय सदस्य गौरवान्वित महसूस करते हैं | मैं आदरणीय अभिनव अरुण जी का बात का समर्थन करता हूँ |
'ई-प्रमाण पत्र' जारी किया जा सकता है |
सादर !!!
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