परम आत्मीय स्वजन,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 39 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | मुशायरे के नियमों में कई परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | इस बार का तरही मिसरा, मेरे पसंदीदा शायर मरहूम जनाब क़तील शिफाई की एक ग़ज़ल से लिया गया है, पेश है मिसरा-ए-तरह...
"तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले"
तु/१/म्हा/२/रा/२/ना/२ म/१/भी/२/आ/२/ये/२ गा/१/में/२/रे/२/ना/२ म/१/से/२/पह/२/ले/२
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
(बह्र: हज़ज़ मुसम्मन सालिम )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 सितम्बर दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 सितम्बर दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय शिज्जू जी सादर
इस हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
अगर पहचान लो खुद में छुपे इंसान को तुम तो
“तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले” वाह्ह क्या गहराई है। वैसे सभी अश'आर कमाल के हैं, अत: सहस्त्रश: बधाईयां आपको आदरणीय संदीप जी।
आदरणीय चंद्रशेखर जी सादर
इस उत्साहवर्धन के लिए आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
ऐसी ग़िरह ! वाह !!
तरक्की की पतंगों से फसा के आसमाँ खींचा
जमीं ये दूर थी वरना फलक की बाम से पहले
इस बेहतरीन शेर के लिए ढेर सारी दाद स्वीकारिये आदरणीय.
आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम
ये आप बड़ों की दुआओं और मुहब्बत का ही असर है इसे यूँ ही बनाये रखिये
तहे दिल से शुक्रिया आपका
संदीप जी ..सभी अशार बहुत बढ़िया लग...
तरक्की की पतंगों से फसा के आसमाँ खींचा
जमीं ये दूर थी वरना फलक की बाम से पहले..पर इस शेर की ताजगी का जवाब नहीं
छिड़कते चार बूँदें हैं खुदा को याद करते हैं
इजाजत पीने यूँ लेते शराबी जाम से पहले...बिलकुल मैकदे का दृश्य सामने आ गया ...तहे दिल बधाई
आदरणीय डॉ आशुतोष सर सादर
इस हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हमारे वीर हैं मुस्तैद सरहद में तो डरना क्या
खड़े वो सर कटाने मौत के पैगाम से पहले..क्या कहने संदीप जी वाह बधाई सामयिक सशक्त अशार !!
आदरणीय अभिनव सर सादर
इस सराहना और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
तरक्की की पतंगों से फसा के आसमाँ खींचा
जमीं ये दूर थी वरना फलक की बाम से पहले ......................इस शेर के कहन के लिए ख़ास बहुत बहुत बधाई
गिरह भी बहुत खूबसूरत है ..हार्दिक दाद पेश है
क़ुबूल करें
आदरणीया डॉ प्राची जी इस सराहना के लिए ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
अनुज संदीप जी हार्दिक बधाई कबूल करें
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