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जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक
हीर राँझे की कहानी हो बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक
प्यार का सैलाब जाने कब बहा लाया
हम सदा डरते रहे आँसू बहाने तक
थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक
क्यों करें परवाह हम अब इस ज़माने की
हर कदम पे जो मिला बस दिल दुखाने तक
छोड़ दी किश्ती भँवर में देख साथी रे
जिंदगी गुजरे फ़कत अब इक फ़साने तक
तू मेरा महबूब अब ये जिंदगी तेरी
खूब गुजरेगी ख़ुदा के पास जाने तक
********************************
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आ० महेश्वरी जी तहे दिल से आभारी हूँ ...आपकी प्रतिक्रिया देर से देखी बहुत खेद है.
राजेश जी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल... बधाई
आदरणीय संजय हबीब जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और सराहना हर्षित उत्साहित कर रही हैं दिल से आभारी हूँ|
बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई आदरणीया राजेश कुमारी जी...
सादर बधाई स्वीकारें....
आप कुछ भी कर दीजिये वह उड़ने लगता है, आदरणीया.. हा हा हा हा...
जय हो.. :-)))))))))))))))
वाह्ह्ह्ह आदरणीय, ग़ज़ल पर आप आये बहार आई बहुत आश्वस्त हुई कि ग़ज़ल आपको प्रभावित कर सकी इस होंस्लाफजाई के लिए दिली शुक्रिया आपके परामर्श का स्वागत है ---उस शेर में रे की जगह ये कर दूंगी तो ठीक लगेगा.सादर
प्रिय प्राची जी आपको ग़ज़ल पसंद आई उसके अशआर प्रभावित कर सके ये मेरे लेखन की सार्थकता हुई मेरा उत्साह वर्धन करती हुई इस प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका
इस ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारकरें आदार्णीया राजेश कुमारीजी.
मतला तो बहुत कुछ कहता हुआ है.
और, हीर-राँझे की कहानी है ही ऐसी कि हर ज़माने को लुभाती है !
आँसू-सैलाब वाला शेर और सुगढ़ हो सकता था.
छोड़ दी कश्ती वाले शेर के उला में रे का होना खल गया. यह भर्ती के शब्द की तरह लग रहा है. ख़ैर यह तो हुई शिल्प की बात !
वैसे कुल मिला कर यह ग़ज़ल दिल को छू गयी.
बधाई स्वीकारें
आदरणीया राजेश जी
बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है
ये दो शेर वहुत ज्यादा पसंद आये
जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक
हीर राँझे की कहानी हो बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक ....................बहुत खूबसूरत
हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर
सादर.
आदरणीय डॉ आशुतोष जी ग़ज़ल की तह तक पंहुचकर उसके भावों को दिल से महसूस कर दी गई प्रतिक्रिया के समक्ष नतमस्तक हूँ ,मेरी ग़ज़ल अपनी बात कहने में सफल हुई आश्वस्त हुई तहे दिल से आभार आपका सादर.
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