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जीने का 
विश्वास जगा है 
 
मरना माना 
अटल सत्य है 
क्यूँ जीने से 
मगर पथ्य है 
 
जीवन से ये 
साफ दगा है   .... जीने का। 
 
मन को 
मुट्ठी में कर लूंगा 
नयी ऑसजन 
मै भर लूंगा 
 
कर सकता हूँ 
मुझे लगा है ... जीने का। 
 
देख रहें 
सब रिश्ते - नाते 
याद  कर रहे 
बीती बातें 
 
याद से बढ़ के 
कौन सगा है ... जीने का। 
---------------------------------
अविनाश बागड़े    
(मौलिक/अप्रकाशित )

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Comment by AVINASH S BAGDE on December 26, 2013 at 10:27am
Comment by AVINASH S BAGDE on December 26, 2013 at 10:26am

अरुन शर्मा 'अनन्त' जी.बहुत बहुत शुक्रिया!  आपको .

Comment by AVINASH S BAGDE on December 26, 2013 at 10:25am

shashi purwar mam..sunder daad!....आपका आभारी हूँ 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 26, 2013 at 10:24am
आभार आदरणीय Saurabh Pandey जी 
बहुत बहुत शुक्रिया! आपके इस शब्द बल का आभारी हूँ .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 25, 2013 at 11:49pm

इस गीत के लिए हृदय से बधाई, आदरणीय अविनशभाईजी.

बहुत खूब !!

Comment by shashi purwar on December 21, 2013 at 6:36pm

sundar rachna , sundar bhav , badhai aapko

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 21, 2013 at 1:36pm

आदरणीय अविनाश सर बहुत ही सुन्दर ओजपूर्ण नवगीत रचा है आपने बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर नवगीत हेतु.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 8:02pm

बहुत सुन्दर... सकारात्मक पहलु को उभारती प्रस्तुति हेतु बधाई आपको अविनाश जी 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 20, 2013 at 7:19pm

coontee mukerji mam.....आभार !

Comment by AVINASH S BAGDE on December 20, 2013 at 7:18pm

ऊर्जा प्रदान करती हुई आपकी ये हौसला अफ़ज़ाई लक्ष्मण भाई 

कृपया ध्यान दे...

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