For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे शारदे मां.....! हे शारदे मां !

हे शारदे मां.....! हे शारदे मां !


जगत की जननी
कल्याणकारी
संयम उदारी
अति धीर धारी
व्याकुल सुकोमल, बालक पुकारे।..... हे शारदे मां.....!


हंसा सवारी
मंशा तुम्हारी
तू ज्ञान दाती
लय ताल भाती
है हाथ पुस्तक, वीणा तु धारे।... हे शारदे मां.....!


संसार सारं
नयना विशालं
हृदयार्विन्दं
करूणा निधानं
अखण्ड सुविधा, सरगम उचारे।.... हे शारदे मां.....!


माता हमारी
बृहमा कुमारी
है मुक्तिदाती
यश कीर्ति गाती
उपकार मां कर, सब जन पुकारे।.... हे शारदे मां.....!


के0पी0 सत्यम मौलिक व अप्रकाशित

Views: 414

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 7, 2014 at 7:37pm

आ0 सौरभ सरजी,   आपका तहेदिल से बहुत.बहुत आभार।  आपने मेरे संशय को दूर कर दिया। वास्तव में मैं भी अपनी रचना से संतुष्ट नहीं था, इसलिए ही इसे जानबूझ कर अतिबिलम्ब से पोस्ट किया है। आपके मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2014 at 11:54am

कुछ विन्दुओं पर आपसे स्पष्टता चाहता हूँ भाईजी-

उदारी ...  यह क्या शब्द है और किन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है ?

व्याकुल सुकोमल, बालक पुकारे ............ यह ’सुकोमल’ बालक कौन है ?

अखण्ड सुविधा, सरगम उचारे............  इसका अर्थ क्या हुआ ? संस्कृतनिष्ठ अंतरा के बाद अचानक देसज का यह प्रयोग ?

बृहमा को संभवतः आपभी ब्रह्मा लिखना चाहेंगे.

यश कीर्ति गाती......... इस पद से क्या आशय है ? किसकी यश कीर्ति ?

मेरी समझ से उपरोक्त विन्दु रचना को अस्पष्ट कर रहे हैं, भाई केवल प्रसादजी. इन्हें स्पष्ट कर साझा करें तो रचना कुछ और संप्रेषणीय हो सकेगी. 

शुभ-शुभ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 5, 2014 at 8:35pm

आ0 अखिलेश भार्इ जी आपका हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 5, 2014 at 2:24pm

आदरणीय केवल भाईजी,

बसंत पंचमी पर  माँ शारदे की सुंदर वंदना पर हार्दिक बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service