For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(मौन) शब्द से सभी परिचित है .... कौन नहीं जनता इस शब्द की विशालता को.....

आज 22 अप्रेल है पूरा एक साल हो गया दोनों को गए हुए, सुधा मन ही मन बुदबुदा रही थी।जरा चाय लाना बालकनी से पति ने आवाज लगाई। चाय तो बनी और पी भी रहे थे दोनों लेकिन सुधा क्षुब्ध, अकेली, बेचैन सी लग रही थी।आज का उजला-उजला नरम सबेरा भी अपना जादू न चला पा रहा था, महेश ने सुधा को हिलाते हुए कहा कहाँ हो? यहीं मीठी ...... क्या हो गया है तुमको ?

सुधा नम आँखों से महेश की ओर देख कर बोली गर ना पढ़ाते इतना अपनी मीठी और बबलू को..... अपनी व्यथा छुपाते, पत्नी को दिलासा देते हुए महेश ने कहा, तुम्हें अच्छा लगता अगर बच्चे भी हमारी तरह कौड़ी-कौड़ी को मोहताज रहते, शुभ शुभ बोलो.... कुछ भी होता, कम से कम मेरे साथ तो होते, मेरे घर का एक -एक कोना गुलजार तो रहता। आप भी बबलू के पापा कुछ भी कहते हो आज जन्म दिन है मेरे लाडले का और दोनों विदेश में जा बसे हैं, कहते- कहते सुधा मौन हो गई । चुप्पी तोड़ते हुए महेश बोले चिंता मत करो मीठी की माँ बच्चे जरूर घर लौटेंगे। क्या जी एक वर्ष हो गया बच्चों की सूरत देखे और गले लगाए हुए। आप तो यूं ही कहते रहते हो, कहते हुए सुधा की आँखें भर आईं ।

काश ! हमारे बच्चे ना गए होते विदेश और न फैला होता मौन का सन्नाटा हम जैसे लोगों के घरों और दिलों में ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित    

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 26, 2014 at 9:05pm

आ०प्राची मैडम आभार सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2014 at 6:05pm

लघु कथा पर सुन्दर प्रयास हुआ है आ० कल्पना मिश्रा जी 

शुभकामनाएं 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 18, 2014 at 9:28pm

आप सभी गुणिजनों का बहुत-बहुत आभार सादर।

Comment by annapurna bajpai on March 14, 2014 at 11:28pm

वाह !! कल्पना जी अब आपकी कथा अच्छी हो गई है , शीर्षक से न्याय कर रही है , बधाई आपको इस लघु कथा के लिए । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 14, 2014 at 8:44pm

पहले बच्चों से हम लोग ही बहुत सी अपेक्षाएं रखते हैं खुश होते हैं उन्हें काबिल देखकर ,किन्तु माँ बाप उनको हर वक़्त याद करते हैं सामने देखना चाहते हैं ये उनकी ममता है ..कहानी घर घर की ..एक माँ होने के नाते इस कथा के भाव दिल के नजदीक पा रही हूँ ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on March 14, 2014 at 8:30pm

अच्छी कथा है! आपको हार्दिक बधाई!

समय के साथ बच्चे माँ-बाप से दूर हो जाते हैं लेकिन माँ-बाप उन्हें अपने दिल से दूर नहीं कर पाते!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 13, 2014 at 6:35pm

सार्थक सन्देश देती सुन्दर लघु कथा का लिए बधाई आ. कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी 

Comment by Shyam Narain Verma on March 13, 2014 at 1:26pm
बेहतरीन लघुकथा,,बधाई आपको,,,
Comment by annapurna bajpai on March 13, 2014 at 1:13pm

कल्पना जी ,  पहले तो आप इसकी टंकण त्रुटियाँ सुधार लें , कई शब्द ऐसे है जो कुछ का कुछ अर्थ दे रहे है । जैसे :- कोढ़ी कोढ़ी = जो कि मेरे ख्याल से आप कौड़ी कौड़ी लिखना चाह रही थीं इसी तरह और भी शब्द है जो सुधार मांग रहे हैं , एक वर्ष कि बात आरंभ हुई है अंत मे आपने वर्षों लिख दिया है । आप अपनी कथा को  पुनः पढ़ लीजिये कमियाँ आपको खुद ब खुद समझ आएंगी उन्हे सुधार दीजिये , अभी इसमे हल्का पन सा लगा रहा है । अन्यथा न लें !! सप्रेम । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service