For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारतीय किसान (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा)

भारतीय किसान 

-----------------

जय जवान जय किसान 

जग का नारा झूंठा  

भाग्य किसान  कैसा तेरा

प्रभू भी तुझसे रूठा 

लेकर हल खेत में 

नंगे पाँव तू जाए 

मखमली कालीन पे

वणिक विश्राम पाए 

भरता सगरे जग का पेट 

खुद है  भूखा सोता 

बिके फसल  तेरी जब 

कर्जा कम न होता 

हाय रे किस्मत तेरी 

कैसा  भाग्य अनूठा 

जय जवान जय किसान 

जग का नारा झूंठा 

देता अपना खून पसीना 

 इक  दाना तब बनता 

बाजार जाये जब फसल 

भाव  न पूरा  मिलता 

उधार ले  खाद और पानी 

बीज जमाए  न जमता 

कृषि  रक्षा उपकरणों में 

काला  धंधा है चलता 

व्यापारी और सरकार ने 

आपस में है रिश्ता गूंठा 

जय जवान जय किसान 

जग का नारा झूंठा 

मौलिक /अप्रकाशित 

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

२३.०३.२०१४

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 31, 2014 at 7:20pm

आदरणीय गुरुदेव श्री सौरभ सर जी 

सादर अभिवादन 

जो हों, जैसा हूँ आपका आशीर्वाद है 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 31, 2014 at 7:18pm

आदरणीय डा. आशुतोष मिश्र जी 

सादर आभार प्रोत्साहन हेतु 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 31, 2014 at 7:18pm

स्नेही वन्दना तिवारी जी 

खुश रहिये 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 31, 2014 at 7:17pm

आदरणीय श्री जीतेन्द्र गीत जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 31, 2014 at 7:16pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर आभार प्रोत्साहन हेतु 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 3:11am

ज़मीन की बातें ज़मीनी ढंग से !  आदरणीय प्रदीपजी, इस शैली के आप उर्वर कवि रहे हैं. बहुत-बहुत बधाई !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 5:15pm

आदरणीय प्रदीप जी किसान की मानसिक पीड़ा को दर्शाती रचना , सोचने के लिए बिबश करती है ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर

Comment by Vindu Babu on March 25, 2014 at 7:06am

सही कहा आपने आदरणीय.

किसान ही आधार है और किसान ही पिस रहा है और अभिजात्य वर्ग उसे हेय दृष्टि से भी देखते हैं।

खाद बीज सब इतना मंहगा है कि बेचारा किसान अपनी मेहनत भी मुश्किल से निकाल पाता है,और उत्पन्न फ़सल के भाव के बारे में...सब तो आपने लिखा है।

आपकी इस यथार्थ अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई देती हूँ।

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 24, 2014 at 11:31pm

उम्मीद व् आशाओं के सहारे अपना जीवन-यापन करने वाले किसान को पृकृति की मार भी झेलनी पड़ जाती है, बहुत सुंदर भावनात्मक रचना प्रस्तुति आदरणीय प्रदीप जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 24, 2014 at 8:37pm

किसान के जीवन का बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण किया है रचना में आपने बहुत- बहुत बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार सिंह जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
11 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service