For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों गाती हो कोयल : नीरज नीर

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल

है पिया मिलन की आस
या बीत चुका मधुमास
वियोग की है वेदना
या पारगमन है पास
मत जाओ न रह जाओ यह छोड़ अम्बर भूतल

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल


तू गाती तो आता
यह वसंत मदमाता
तू आती तो आता
मलयानिल महकाता
तू जाती तो देता कर जेठ मुझे बेकल

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल


कलि कुसुम का यह देश
रह बदल कोई वेष
सुबह सबेरे आना
हौले से तुम गाना
आकर मेरी खिड़की पर कोई गीत नवल…

क्यों गाती हो कोयल होकर इतना विह्वल

..............

नीरज कुमार नीर

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 6:04pm

गीत विधा पर बहुत सुन्दर प्रयास आ० नीरज कुमार जी 

शुभकामनाएं 

Comment by Neeraj Neer on April 23, 2014 at 9:02am

आ. जितेन्द्र गीत जी आपका हार्दिक धन्यवाद. 

Comment by Neeraj Neer on April 23, 2014 at 9:00am

आ. लक्षमण धामी जी हार्दिक धन्यवाद आपका..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 22, 2014 at 11:31am

सुंदर भावों को संजोये, एक सुंदर रचना. बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 22, 2014 at 11:06am

आदरणीय नीरज भाई एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें .

Comment by Neeraj Neer on April 22, 2014 at 8:30am

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आपका हार्दिक आभार.. 

Comment by Neeraj Neer on April 22, 2014 at 8:29am

हार्दिक आभार आदरणीय अनुराग जी ..

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 21, 2014 at 10:09pm

आदरणीय नीरज भाई 

तू गाती तो आता 
यह वसंत मदमाता 
तू आती तो आता 
मलयानिल महकाता 

तू जाती तो देता 
कर जेठ मुझे बेकल

क्यों गाती हो कोयल 
होकर इतना विह्वल

कोयल की मधुर आवाज के साथ सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया है अपनी भावपूर्ण रचना में, हार्दिक बधाई  

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 21, 2014 at 1:13pm

एक सुन्दर रचना सुन्दर भावों को संजोये
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह हर ग़ज़ल पर बेहतरीन हुई है काबिल ए गौर है ग़ज़ल…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय निलेश सर 4rth शेर बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी सर बधाई स्वीकारें सुधार के बाद शेर और निखर गए हैं"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सुधार- उम्रें न सही लम्हे बिताने के लिए आ ग़र इश्क़ है तो साथ निभाने के लिए आ/१ दिल भूल गया है सभी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात इन्हीं शब्दों…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह शानदार…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  मतला और गिरह ख़ूब…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service