For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दूर गगन के टिम-टिम तारें

दूर गगन के टिम-टिम तारें,
लुक छिप कर सब करें इशारे।
धरती पर क्षण भंगुर जीवन,
जैसे निश में जुगुनू हारे।।

स्वार्थी मानव लोभ सताए,
दम्भ ज्ञान से मन बहलाए।
अहं द्वेष माया के बन्धन,
जैसे मृग कश्तूरी धारे।।1


देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।।2


भव सागर में कश्ती सारी,
तूफां संग बवन्डर भारी।
उमड़-घुमड़ कर सॉंझ सबेरे,
जैसे वर्षा-सूखा मारे।।3

प्रेम भरा जीवन सुखदायी,
भक्ति-शक्ति दृढ़ता बरदायी।
तुलसी सूर कथा सत्कारी,
जैसे गंगा पाप उतारे।।4


लाभ-हानि संग सृ-िष्ट रानी,
नित नूतन रस लय में पानी,
रात्रि सघन सूरज अजियारा,
जैसे वृक्ष सदा फल वारे।।5


के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 1:38pm

आदरणीय केवल जी ..भाव प्रवण इस रचना के लिए तहे दिल बधाई .स्वार्थी मानव लोभ सताए, यहाँ मुझे गेयता में थोड़ी बाधा लगी ..इस रचना को गुनगुनाने में खूब लुत्फ़ मिला ..तहे दिल बधाई के साथ सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 11, 2014 at 11:41am

प्रेम भरा जीवन सुखदायी,
भक्ति-शक्ति दृढ़ता बरदायी।
तुलसी सूर कथा सत्कारी,
जैसे गंगा पाप उतारे।।4

सुन्दर भाव युक्त रचना .....केवल जी बधाई
भ्रमर ५

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 9, 2014 at 12:00pm

आदरणीय प्रसाद जी
अच्छी कविता है बहुत बहुत मुबारकबाद

देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।।2

Comment by Meena Pathak on May 8, 2014 at 7:57pm

बहुत सुन्दर .. बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2014 at 12:08pm

एक भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 9:58pm

विभिन्न भावों से युक्त सामायिक रचना 

देश-गॉंव की बातें करके,
जाति-धर्म को आड़े करके।
स्वार्थ फलित विष तन में बोते,
जैसे राजनीति भिनसारे।  ...सादर!

Comment by coontee mukerji on May 5, 2014 at 2:12pm

दूर गगन के टिम-टिम तारें,
लुक छिप कर सब करें इशारे।
धरती पर क्षण भंगुर जीवन,
जैसे निश में जुगुनू हारे।।.....बहुत सुंदर रचना.भाई साहब आपको हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service