For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत...आजाद शुका खूंखार हुआ

नवगीत...आजाद शुका खूंखार हुआ

छत्तीस गढ़ के दो राहे पर,
तेरा मेरा साथ हुआ।
एक मात्र माशा रत्ती का
जमकर सोलह श्रृंगार हुआ।।

एक-एक मिलकर जो ग्यारह,
वह दो नम्बर व्यवहार करे।
तीन तिकड़मी सी मॅंहगाई,
जीवन भर आघात करे।
तीन-पॉंच मन राजनीति का,
आजाद शुका खूंखार हुआ।।1

चार वेद-ॠतु-वर्ण व्यवस्था,
चारों खाने चित्त हुए जब।
पंच तत्व कण के परमेश्वर-
छिन्न--िभन्न रिश्ते करते अब।
छवों शस्त्र के सात रंग-रस,
स्वर में दंगा हंुकार हुआ।।2

आदि भवानी सम है नारी,
सकल सृ-िष्ट में आकार धरे।
कर्म काण्ड में सदा रमें नर,
नौ दो ग्यारह सत् पतन वरे।
तन लंका के दसों द्वार पर,
रावण मन का संचार हुआ।।3

अष्ट योग चौबिस गुण रट कर,
लख चौरासी योनि भटकते।
सोलह-उन्निस के चक्कर में,
नौ ग्रह शुभ नक्षत्र को छलते।
शून्य प्रहर का प्रश्न पृच्छ जो,
कोरा ज्ञान अहंकार हुआ।।4

के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2014 at 1:46pm

आदरणीय केवल भाई , बहुत सुन्दर नवगीत की रचना की है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 8, 2014 at 12:54pm

हार्दिक बधाई , अंको को खूब साधा है आपने


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 8, 2014 at 8:17am

बेहतरीन आदरणीय केवल प्रसाद जी बढ़िया नवगीत है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 8, 2014 at 8:13am

बहुत प्रभावशाली रचना आदरणीय केवल जी. बधाई आपको

Comment by kalpna mishra bajpai on May 5, 2014 at 3:00pm

अष्ट योग चौबिस गुण रट कर,
लख चौरासी योनि भटकते।
सोलह-उन्निस के चक्कर में,
नौ ग्रह शुभ नक्षत्र को छलते।
शून्य प्रहर का प्रश्न पृच्छ जो,
कोरा ज्ञान अहंकार हुआ।.............. आ० केवल प्रसाद सर बहुत सटीक रचना

Comment by coontee mukerji on May 5, 2014 at 1:34am

बहुत गम्भीर रचना है भाई साहब.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 8:59pm

सुन्दर रचना , बधाई.............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service