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जोड़ी बिना अधूरा है |

जीवन के अनजाने पथ पर  , मोड़ अनेको आते हैं |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल  लोग  बिछड़ जाते हैं |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते ,  कुछ मौन चले जाते हैं | 
कोई दे  सर्द हवा  झोंका ,      कोई ग़म  दे जाते  हैं |  
पर कही मिले कोई नैया , जीवन पार लगा जाती |
गर विरान मरुस्थल में रहे , नई हरीयाली लाती |  
अलग खुशी भरती जीवन में, फूलों से घर महकाती | 
हँसी खुशी से  साथ निभाये ,  घर घर घरनी कहलाती | 
विवेक होता नर नारी में , मन रमा गाड़ी चलाते |
मानव दानव में अंतर क्या , जो घर बसा बिछड़ जाते |
दोनों हाथ मिल  बजे  ताली , जुदा शोर  ना कर पाते | 
जीवन में ग़म भर जाता है ,  जुदा राह जब अपनाते |
पर नर नारी के मिलन बिना ,  जीवन पुष्प अधूरा है | 
तनहा रहकर जो खुशी मिले , जोड़ी  बिना अधूरा  है | 
जाना है एक दिन जहाँ  से , होत  समय जब पूरा है |
वर्मा फिर  ना आने वाला , ठोकर लगा जो गिरा है |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Shyam Narain Verma on May 24, 2014 at 4:12pm
आपका ह्रदय से आभारी हूँ...
सादर!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 11:24pm

रचना भावपूर्ण है.. आदरणीय

अनेकों शब्द का प्रयोग सुधीजन नहीं करते..  हम भी उनका अनुकरण करें.

सादर

Comment by Shyam Narain Verma on May 21, 2014 at 10:49am

रचना को सराहने के लिये आदरणीय गिरिराज जी , आदरणीया मुखर्जी जी एवं  आदरणीय शिज्जु शकूर जी का  हार्दिक आभार |
सादर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:40am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, बढ़िया भावपूर्ण रचना के लिए बधाई...................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:39pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी अच्छी भावाभिव्यक्ति है बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:32pm
जीवन के अनजाने पथ पर  , मोड़ अनेको आते हैं |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल  लोग  बिछड़ जाते हैं |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते ,  कुछ मौन चले जाते हैं | 
कोई दे  सर्द हवा  झोंका ,      कोई ग़म  दे जाते  हैं |.....शायद यहीं दुनिया की रीत है....फिर भी मुसाफिर को चलना तो पड़ता ही है......बहुत अच्छा प्रयास है..नारायण जी....आप  लिखते रहें.....शुभकामनाएँ......सादर. 

...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 20, 2014 at 6:35pm

आदरनीय श्याम नारायण भाई , खूब सूरत भाव पूर्ण रचना के लिये बधाइयाँ ॥ गेयता थोड़ी बाधित लगी ॥

Comment by Shyam Narain Verma on May 19, 2014 at 3:48pm

रचना को सराहने के लिये आदरणीया मीना पाठक जी , आदरणीय जितेंद्र ' गीत ' जी और आदरणीय लक्ष्मण धामी जी का  हार्दिक आभार |
सादर!

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2014 at 10:52am

आदरणीय श्याम नारायण जी, इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 19, 2014 at 8:43am

बहुत सुंदर रचना आदरणीय श्याम नारायण जी, हार्दिक बधाई आपको

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