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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
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लूट लिया दिल जिसने उस पर हमने सब कुछ वार दिया,
अब तो फ़र्क नहीं पड़ता युग इसे जीत या हार कहे।
बेहतरीन शे'र , कूबसूरत गज़ल , बधाई सलिल जी।
जिनसे पद शोभित होता है, ऐसे लोग नहीं मिलते.
पद पा शोभा बढ़ती जिसकी, 'सलिल' उसे बटमार कहे..
१०० करोड़ की बात , बेहद खुबसूरत शे'र , खुबसूरत ख्यालात से सजी इस ग़ज़ल की प्रस्तुति पर बधाई आचार्य जी |
नफरत के शोले धधकाकर, आग बर्फ में लगा रहा.
छुरा पीठ में भोंक पड़ोसी, गद्दारी को प्यार कहे..
आद. सलिल जी नमन है इस शेर के लिए .....
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