ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |
धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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छन्न पकैया छन्न पकैया, बात तुम्हारी मानी ।
बाल-सुलभ तुकबन्दी करतीं, शन्नो सबकी नानी ॥
शुभ शुभ बाहर उभचुभ भीतर। छकी जबेली हो गए तीतर
सौरभ जी यह ना इन्साफ़ी। तीनो लोक नहीं है माफी
बागी बाबू जी की जय है । सच बोलूँ बिगड़ी ये शय है
चाचा होकर बनते भाई । इनको लाज तनिक नहि आई
सही बात होंठों पर आई । चचा हमारे बनते भाई ॥
लेकर अब आशीष चचा का । जीवन में बढ़ना है पक्का ॥
लेकिन पचती बात न भीतर । कहाँ जलेबी खाता तीतर ॥
तुकबन्दी की दायें-बायें । योगी भाई ग़ज़ब मिलायें ।
हा हा हा हा...
जय हो.. :-)))
पंजाबी में "तीतर होना" । मतलब जिसका "चलते होना"
ठूँस खिसकना जिनकी आदत । उनकी खातिर बनी कहावत
माना हूँ मामूली "छंदी" । करता नहीं निरी तुकबंदी
झूठ कहा या बोला साचा । करो फैसला बागी चाचा
नयी कहावत सीखे आकर । जय ओबीओ जय परभाकर ॥
खेल-खेल में चले पढ़ाई । मंच तभी है यह सुखदायी ॥
बागी चाचा बाद में बोलें । पहले हम सिर नायें-तोलें ॥
प्रभु आप हैं छन्द विशारद । तत्त्वों में ज्यों अद्भुत पारद ॥
ओबीओ के सिर के बिन्दी । खुद को कहते ’तुकिया-छन्दी’ ॥
सोच-सोच सिर गड़-गड़ जावे । कैसे हमको लाज न आवे ॥
तितर बितर लोगो का होना, शब्द लगे जाना पहचाना,
योगी बाबा बात निराली, छंदो में पढ़ सकते गाली :-)))
चाचा हूँ थारे पोते का, बात कहो असली नाते का,
काशी जाओं चाहे काबा, सदा रहोगे योगी बाबा ||
hahahaha .....:-))))
काशी जाओं चाहे काबा, सदा रहोगे योगी बाबा,
हा हा हा हा हा हा हा हा |
चचा-भतीजा मामा-भांजा । चढ़ी पिनक क्या पीकर गांजा ॥
दिखे गनेसी योगी भाई । पिनक चढ़े पर खायँ मिठाई ॥
:-))
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