Tags:
Replies are closed for this discussion.
अरुण भईया यह क्या गज़ब कर डाला,
ग़ज़ल तो लगाई ठीक फोटो क्यू डाला ,
इतनी खुबसूरत फोटो है कि ग़ज़ल पर ध्यान ही केन्द्रित नहीं होता,
तुम मेरे मन को रंगों और मैं तेरे मन को रंगूँ ,
इस तरह ये प्रीत का पौधा बड़ा हो जायेगा |
बहुत खूब , होश कि बातें , जय महादेव , होली में प्रसाद नहीं मिला क्या ?
रंग बनावट का उतारो आईने के रूबरू ,
आदमी का आदमी से सामना हो जायेगा |
वाह वाह वाह , बेहद खुबसूरत , सुंदर ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करे |
सोचा जो कमीं गज़ल में रह गयी उसे फोटो से दूर कर लूं | समीक्षा का शुक्रिया |
आज होली है चलो माफ़ करते हैं तुम्हें'
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा।
आपने शायद हर पति रूपी प्राणी केदिल की बात को
बख़ूबी घर घर तक पहुंचाया है, इसके लिये समस्त
पुरुष बिरादरी सदियों तक आपका रिणी रहेगा।
वाह वाह अरुण भाई, बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही है आपने पढ़कर मन पुलकित हो गया !
//रंग में होली के हल हर मसअला हो जायेगा ,
प्रेम से मिल लो गले रिश्ता हरा हो जायेगा |//
भगवान् करे ऐसा ही हो - आज देश और दुनिया का ज़रुरत भी इसी बात की ही है !
//आज होली है चलो हम माफ करते हैं तुम्हें ,
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |//
बिलकुल सही कहा - होली पर तो थोड़ी लीनीएन्सी होनी ही चाहिए !
//श्याम के रंग में रंगी मीरा अभी तक गा रही ,
कब लगायेगा वो रंग मुझको मेरा हो जायेगा |//
आहा हा हा हा ! श्याम और मीरा ना हों तो कैसी होली ? अति सुन्दर !
//गांव की गलियों में हँसता खेलता खुश है बहुत ,
कल बड़ा होकर ये बच्चा शहर का हो जायेगा |//
जी हाँ, और खेत खलिहान के मालिक का कनस्तर आटे को तरस रहा होगा, कमाल का शेअर है यह !
//तुम मेरे मन को रंगों और मैं तेरे मन को रंगूँ ,
इस तरह ये प्रीत का पौधा बड़ा हो जायेगा |//
रूह को ठंडक पहुँचाने वाला शेअर है यह - बहुत खूब !
//क्या उन्हें रंगना रंगे रहते जो देखो वर्ष भर ,
रंग पर रंग रंग दिया तो रंग खफा हो जायेगा |//
शब्दों की कारीगरी का सुन्दर नमूना है ये शेअर !
//इन त्योहारों का मकसद है कि हम मिलकर रहें ,
शाख से टूटा हुआ पत्ता फ़ना हो जायेगा |//
हाय हाय हाय हाय - क्या गहरी बात कह गए भाई !
//रंग बनावट का उतारो आईने के रूबरू ,
आदमी का आदमी से सामना हो जायेगा |//
ये है मुशायरा लूट शेअर - जीते रहिए भाई जीते रहिए !
रंग में होली के हल हर मसअला हो जायेगा ,
प्रेम से मिल लो गले रिश्ता हरा हो जायेगा |
आज होली है चलो हम माफ करते हैं तुम्हें ,
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |
श्याम के रंग में रंगी मीरा अभी तक गा रही ,
कब लगायेगा वो रंग मुझको मेरा हो जायेगा |
रंग बनावट का उतारो आईने के रूबरू ,
आदमी का आदमी से सामना हो जायेगा |
अरुण साहब एक से बढ़कर एक शेर है...गजब ढाया है आपने...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |