For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली

किरणें चित्र उकेरें अँगना, है प्रीत तेरी हमें बांधन निकली 
धरती का मैं लहंगा सिला लूँ, हरियाली की पहनूं चोली

अम्बर की बन जाए ओढ़नी, देखूं फिर नववर्ष रंगोली
तारों की मैं माला गूंथुं, चाँद बने बिंदिया की रोली

बने चांदनी मेरी मेहँदी, सज जाए मेरी भी हथेली
नेह झड़ी की आस लगाए, सुलगी जाए मरी दूब हठीली

सूरज को मैं बांधू राखी, फिर घोलूं किरणों की शोखी
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली..... 

केसर रंग में मांग सजाऊं, देख घटा की अलक श्यामली
प्रेम रंग अनमोल पिया का, पहनूं चूड़ी लाल हरी और पीली              
शीतल मंद पवन सी डोले, नीले अम्बर की वो भूरी बदली
आँगन के तुलसी का बिरवा, झूम झूम के करे ठिठोली
मन वीणा ने तार बजाए, जब प्रेमप्रीत मेरी बनी सहेली
भोर किरण ने चूम के पलकें, सौगातों से भरी पोटली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली..... 

तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली  
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली 
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली...


मौलिक एवं अप्रकाशित ....  
सुनीता दोहरे 

Views: 1218

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sunita dohare on January 29, 2015 at 2:30pm

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला   आदरणीय, बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 29, 2015 at 12:12pm

तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली 
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली  
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली  
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली -  देख के हमने सौंधी माटी गीली 
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली 
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली - वाह लाजवाब अभिलाषाएं, बेहतरीन रचना 
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली... बहुत सुंदर  भाव रचित  कामनाएं की है  रचना के  माध्यम से - हार्दिक  बधाई 

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 9:37pm

 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव   आदरणीय, मेरी पोस्ट पर आपका आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !  सादर नमस्कार !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:31pm

खूबसूरत सपनो और कामनाओ से सजी  इस कविता के लिए  साधुवाद i सादर i

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 8:25pm

 जितेन्द्र पस्टारिया आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमस्कार !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 28, 2015 at 12:29pm

रचना में बेहद सुंदर भाव, उभर कर आयें है आदरणीया सुनीता जी. प्रस्तुति पर बधाई आपको

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 12:16pm

मिथिलेश वामनकर  आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2015 at 11:45pm

सुन्दर प्रस्तुति, बधाई 

Comment by sunita dohare on January 27, 2015 at 7:51pm

 Hari Prakash Dubey  आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!

Comment by sunita dohare on January 27, 2015 at 7:50pm

Shyam Mathpal जी , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!""

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service