For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नजरों नजरों में फिर कोई फर्माइश होगी (ग़ज़ल 'राज')

२२२२  २२२२  २२२२  २ 

शर्मिंदा आज  किसी रू की पैदाइश होगी---रूह में ह साइलेंट है  

गैरों के आगे फिर सूरत  की  नुमाइश होगी 

फिर से टूटेगा रब की रहमत का देख  भरम

फिर आज किसी की किस्मत की जमाइश होगी---(आजमाइश की मात्रा गिराकर अजमाइश किया है) 

 

ज़र्रे ज़र्रे में महकेगी दौलत  की खुशबू

नजरों नजरों में फिर कोई फर्माइश होगी

 

हँस हँस के मिटेगी जल जल के लुटेगी रात शमा

धज्जी धज्जी दिल टूटी टूटी  ख्वाइश होगी----(ख्वाहिश को ख्वाइश लिया है ) 

 

रब तेरी इनायत के मिल जाएँ कभी दो कतरे

तहरीरों  में तेरी कोई तो  गुंजाइश होगी  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 987

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 7, 2015 at 11:04pm

आ० भुवन निस्तेज भाई जी ,आपको ये ग़ज़ल प्रभावित की मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका. 

Comment by भुवन निस्तेज on March 7, 2015 at 2:43pm
एक प्रभावोत्पादक रचना । आदरणीय दीदी आप बधाई की पात्र हैं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:29am

आ० गिरिराज जी,ग़ज़ल आपको पसंद आई ,आप जैसे गंभीर ग़ज़लकार  से दाद पाना ही बहुत बड़ी बात है मेरा लिखना सफल हुआ दिली आभार आपका सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:28am

आ० मोहन सेठी जी ,ग़ज़ल के भाव आपको पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:27am

प्रिय प्रतिभा जी ,ग़ज़ल के भाव आपको प्रभावित कर सके मेरा  लिखना सफल हुआ तहे दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:25am

मिथिलेश जी ,आप जैसे ग़ज़ल गो से दाद पाना अपने आप में लेखन के प्रति आश्वस्त करता है मेरा लिखना सफल हुआ हाँ बह्र लिखना भूल गई थी जैसा की हमेशा लिखती हूँ इस बार न जाने कैसे भूल गई ,अब संशोधित की है एक और त्रुटी को आपने नजरअंदाज किया था जो आ० गणेश जी ने बताई वो भी ठीक कर ली है |आपका तहे दिल से शुक्रिया ,आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:22am

प्रिय महिमा श्री जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2015 at 9:20am

आ० गणेश जी आपको ग़ज़ल उसके भाव पसंद आये ये मेरे लेखन के प्रति आश्वस्तता है ,आपको धन्यवाद कहना चाहूंगी कि आपने एक बड़ी त्रुटी की और ध्यान आकर्षित किया न जाने कैसे हो गई थी ये गलती .अब संशोधित कर लिया है आपका दिल से पुनः आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 8:34am

आदरणीया राजेश जी , बढिया मतला से शुरु हुई ग़ज़ल आखिर तक बहुत अच्छी लगी ।

फिर आज किसी की किस्मत की आजमाइश होगी

गैरों के आगे फिर सूरत  की  नुमाइश होगी  ----   अति सुंदर - दिली बधाई स्वीकार करें ॥

बातें ( विषय ) सीधी समझ मे आ रहीं है , आप नाहक़ शंका कर रहीं थीं - आपको पुनः बधाइयाँ ॥

 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 3, 2015 at 3:28am

आदरणीया राजेश कुमारी जी दिल में उतरते शब्द ...बहुत भावपूर्ण ....ख़ुशी है कि आजकल समाज बदल रहा है  बेशक धीरे धीरे ...सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
1 hour ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service