For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घूँघट पट क्यों ओढ़ती,तुम पर मैं बलिहार
घट मेरे बसती सदा,तुम पर जान निसार ॥

गोरी तुम मैं सांमला,प्रीत घनेरी होय
राधा वर मैं बन गया,जो होए सो होय ॥

बंशी मेरी टेरती , तुम को सुबहो शाम
दर्शन श्यामा के बिना ,हमें कहाँ आराम॥

बहुत हुआ अब चुप रहो,नटवर नागर नन्द
मदन माधुरी डालते, भरते दिल आनन्द ॥

पुष्प लता है  बावरी ,प्रेमातुर संसार
कंठ कंठ में रम रहा ,दामोदर करतार॥

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2015 at 10:58pm

अच्छा प्रयास हुआ है आदरणीया कल्पनाजी, बधाई लें.

आदरणीय अशोक रक्ताले साहब का कहना सर्वथा उचित है. आदरणीय गोपाल नारायनजी के सुझाव पर अमल हुआ दिखता है.

शुभेच्छाएँ

Comment by kalpna mishra bajpai on March 7, 2015 at 8:28pm

आ० Ashok Kumar Raktale जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 7, 2015 at 8:28pm

आ०  Shyam Narain Verma जी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 7, 2015 at 8:28pm

आ० Hari Prakash Dubeyजी आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 7, 2015 at 8:27pm

आ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर आप सही कह रहें है। आप के बताए अनुसार मैं दोहे ठीक कर रही हूँ । आभार /सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 9:40pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई  जी. सुन्दर प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई ! सादर !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 5, 2015 at 9:10pm

आ० कल्पना जी

सुन्दर भाव्-पूर्ण  दोहे हैं i

गोरी तुम में सांमला --------- गोरी तुममे सांवरा

पुष्प लता  हुयी बावरी  में मात्रा क्रम  3 3 3 2 3 है  कुल 14 मात्राए है तेरह ही चाहिए  इसे करदे --पुष्प लता है बावरी  

कंठ कंठ में रम रहे,दामोदर करतार की जगह ---कंठ कंठ में रम रहा , ,दामोदर करतार॥ उपयुक्त रहेगा i सादर i

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2015 at 10:56am
इस सुंदर प्रस्तुति के लिए तहे दिल बधाई सादर
Comment by Ashok Kumar Raktale on March 4, 2015 at 10:40pm

आदरणीया कल्पना मिश्र बाजपेयी जी सादर, अच्छा प्रयास हुआ है दोहों पर तुक पर कुछ ध्यान दें होय-होय और नन्द-आनंद तुक नहीं सम हो रहे हैं. अंतिम दोहे के प्रथम चरण की मात्राएँ भी जांच लें. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service