Tags:
Replies are closed for this discussion.
हालांकि कुलदेवता के चिन्ह वाली बात नाटकीय सी लगती है। फिर भी शिल्प की दृष्टि से अच्छी लघुकथा हुई है आ० सुधीर द्विवेदी जी, बधाई स्वीकारें।
आपका कथा पर आना ही परिश्रम सफल कर जाता है योगराज सर जी हार्दिक आभार
आदरणीय सुधीर जी, आपकी कथा का विषय क्षमा कीजिये cliche की तरह आम विषय जैसा है. मेरे मन में ’रोटी’ फ़िल्म के जीवन का चेहरा घूम गया या ’गंगा की सौगंध’ के अमज़द खान को याद करने लगा. कारण, ये सभी पात्र इसी तरह या इससे मिलते-जुलते कथानक में अभिनय कर चुके हैं.
शिल्प और प्रस्तुतीकरण पर सुधीजनों ने अपनी बातें कह ही दी हैं.
बहरहाल, इस प्रयास और सहभागिता हेतु हार्दिक धन्यवाद.
गुनीजनो की समालोचना भी प्रसाद तुल्य हुआ करती है | फिल्मो के प्रति बचपन से ही विशेष अनुराग रहा है फिल्मे भी कहीं न कही जीवन का आइना ही होती है | वो अनुराग सम्भवत यहाँ प्रदर्शित हुआ | आपकी समालोचना ने मेरे मन मष्तिष्क में होने वाली रासायनिक या यूँ कहे भावनात्मक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक का दायित्व निभाया है | मुझे इस द्रश्य चोट के साथ विद्यमान अदृश्य सहारा भी दिखा आपकी प्रतिक्रिया में बिलकुल उसी प्रकार जिस प्रकार एक कुम्हार पात्र गढ़ते समय किया करता है |
एक नयी उर्जा के साथ सादर
आदरणीय सुधीरजी, रचनाकर्म के क्रम में यह पारस्परिक व्यवहार ही इस मंच के वातावरण का अभीष्ट है. इसी सोच से हम सीखते हैं. मेरे कहे के अन्वर्थ और निहितार्थ को समझने और मान देने केलिए सादर धन्यवाद
आदरणीय सुधीर जी,
सुन्दर कथा. फ़िल्मों के प्लाट दिमाग मे आ गये.
सादर.
हार्दिक आभार आ. शुभ्रांशु जी
अद्भुत लेखन सुधीर जी , निरुत्तर सेठ व मुन्नीबाई सुंदर चित्रण।
हार्दिक आभार आ, पंकज जोशी जी
हार्दिक आभार आ. दीदी
आदरणीय सुधीरजी
आपकी कथा मार्मिक है। इस प्रकार की कुछ एक घटनायें हो भी चुकी हैं, विशेषकर आज़ादी से पहले।
हार्दिक बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |