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आ० सौरभ जी,लघुकथा पर आपका अनुमोदन मिला उत्साह दुगुना हो गया मेरा लिखना सफल हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका सादर
आ० माला झा जी,होंसलाफ्जाई करती इस प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार आपका |
“बिना पहचाने मुआवज़ा थोड़े ही मिलेगा बुढ़िया को... ही ही ही” खींसे निपोरते हुए धीरे से कानों में फुसफुसाते हुए वो दोनों अटेंडेंट भी पीछे-पीछे चल दिए .........अच्छी लघुकथा .rajesh kumari जी
आ० ओम प्रकाश जी,आपको लघु कथा पसंद आई आपका दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया .
आदरणीया राजेश कुमारी जी,
सुन्दर लघु कथा. एक मां के ममता को समाज मुआवजा के नजरिये से देख रहा है.
सादर.
शुभ्रांशु भैया,लघु कथा के मर्म को बखूबी समझा है आपने ,मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका |
आदरणीया राजेश दीदी,
बढ़िया लघुकथा हुई है
आपने अपनी बात कहने के लिए जैसा वातावरण बनाया है, उसके लिए विशेष बधाई.
ये लाइन पढ़ते ही उस वातावरण में अचानक एक और झटका ---
“बिना पहचाने मुआवज़ा थोड़े ही मिलेगा बुढ़िया को... ही ही ही” खींसे निपोरते हुए धीरे से कानों में फुसफुसाते हुए वो दोनों अटेंडेंट भी पीछे-पीछे चल दिए
मिथिलेश भैया ,लघु कथा के मर्म तक पँहुच कर की गई आपकी समीक्षा ने मेरे लेखन को सार्थक कर दिया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ |
बहुत संवेदनशील लघुकथा ,आदरणीया राजेश दीदी. विषय पर आपने बहुत अलग सोच जाहिर कि है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
जितेन्द्र भैया,आपको लघु कथा ने प्रभावित किया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका.
मोर्चरी के अटेंडेंट्स का संवेदनहीन व्यवहार और एक माँ का मन , इन दोनों पहलुओं को बहुत बेहतरीन तरीके से उठाया है आपने आदरणीया राजेश कुमारी जी । बहुत बहुत बधाई इस अनोखे विषय पर रचना प्रस्तुत करने के लिए
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