Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय विनोद जी, आपकी लघुकथा के लिए हार्दिक धन्यवाद.
जहाँ तक इस कथा के कथ्य का सवाल है, माईं सुधीजनों की सामान्य टिप्पणियों से सहमत नहीं हूँ. यह कथ्य आज के माहौल से ठीक-ठीक मेल नहीं खा रहा है. मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसे दसियों आइ.पी.एस अधिकारियों को जानता हूँ जिन्होंने न केवल विजातीय विवाह किया है, बल्कि उनके विवाह को उनके गाँव और परिवार वालों ने सहर्ष अनुमति दी है. कारण कि जिस ऊँचाई और जैसे वातावरण में ये अधिकारी चले जाते हैं वहाँ उनको छोड़िये, उनके परिवार वालों को भी कोई कुछ नहीं कहता. गाँवों का या की कैण्डिडेट है तो उनका कद और भी बड़ा हो कर दिखता है. कथा में कोई और पद बताया गया होता तो बात समझ में भी आती है.
साहित्य दो कदम आगे की चर्चा करता है. इसलिए मैं ऐसा कह पारहा हूँ. हाँ, इक्का-दुक्का कोई केस हुआ हो तो बात अलग है. यह समाज ही है. छुट्टा छोड़ दो तो भौंकता है,आदरणीय.
आयोजन में सहभागिता केलिए हार्दिक धन्यवाद
शुभ-शुभ
आप अपनी जगह सही हैं. यह सामाजिक दशा है जिसकी बात आप कर रहे हैं. लेकिन मैं जो निवेदन करना चाह रहा हूँ वह तथ्य आपकी प्रस्तुति के परिप्रेक्ष्य से उभर रहा है. आपने डिंस्टिंक्ट पद की बात की है तो उक्त पद के परिप्रेक्ष्य की वस्तुस्थिति को मैंने साझा की है. मेरा और कोई आग्रह नहीं है.
शुभेच्छाएँ
बेटी तो खुशी खुशी विदा हो रही थी लेकिन सुंदरलाल की पहचान अब धूल चाट जा रही थी। Vinod Khanagwal जी आप की इस पंक्तियों ने लघुकथा में एक अलग ही पहचान डाल दी
विनोद जी
बेटी और दामाद दोनों आई पी एस फिर भी पहचान का संकट , नहीं मित्र विजातीय विवाह अब टैबू नहीं रहा .
आदरणीय विनोद जी,
इस दोगले समाज की वास्तविकता को शिद्दत से प्रस्तुत करती इस सशक्त लघुकथा पर आपको हार्दिक बधाई
समाज के इसी दोगलेपन का परिणाम है कि कई माता-पिता अपनी बेटी को ज्यादा पढ़ाने लिखाने से घबराते है.
कई बिन्दुओ पर खुलती इस लघुकथा की सफलता पर पुनः बधाई
दो तरह कि मानसिकता लिए दुनिया में बहुत से लोग होते है आपकी लघुकथा एकदम फिट बैठ रही है आदरणीय विनोद जी. बहुत बहुत बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |