Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय रवि प्रभाकर जी, लघुकथा कुछ भारी-भारी सी हो गई है। इसे और सहजता से भी कहा जा सकता है। डॉक्टर बेटे का पिता रिक्शा चलाए, यह भी जच नहीं पा रहा है। हाँ, अगर उस मैडिकल में उसका बेटा मरा होता तो उसका वहाँ ना जाना ज्यादा स्वाभाविक लगता।
बेटा डाक्टर और बुधा बाप रिक्शा चला जीवन बसर कर रहा है, उस परिवार में बच्चों की बुनियाद भी वैसी ही पड़ने वाली है | बहुत सुंदर और मार्मिक भाव रचित लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री रवि प्रभाकर जी
आदरणीय रवि प्रभाकर जी, डेरी से कथा पर पहुँचाने के लिए माफी चाहूंगा ...पर इस अनूठी कथा ने मन के अन्तरंग को छू लिया ... मुझे लगता है कि अभी भी आत्मिक विकास से कोसों दूर हैं....बहुत ही बेहतरीन लगी आपकी ये लघुकथा
आदरणीया अर्चनाजी
कथा पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ , हृदय से धन्यवाद , आभार
नमस्कार .
आप ने तो बुनियाद का पूरा खाका ही खीच दिया. बधाई आप को इस बेहतरीन लघुकथा ले लिए.
आदरणीय ओमप्रकाश भाई
लिखना सार्थक हुआ , लघु कथा की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार
आदरणीया कांताजी
हम जिनकी भाषा सीखते हैं और सबसे बड़ी बात अपनी भाषा से ज़्यादा महत्व देते हैं उनकी अपसंस्कृति तो आएगी ही। अंग्रेजों ने देश को लूटा, फूट डालकर राज किये, किन राजा महाराजों नवाबों ने देश के साथ गद्दारी कर अंग्रेजों का साथ दिया यह सब तो कमोवेश इतिहास में पढ़ते ही हैं पर आम भारतीय स्त्रियों के साथ कितने अत्याचार किये, किस वहशीपन से शारिरिक शोषण किया इस पर सभी मौन हैं। आजादी के बाद कान्वेंटी संस्कृति अँग्रेजी भाषा दोनो खूब पनपी। काले अँग्रेजों की सँख्या करोडों में है और बढ़ती भी जा रही है। हमारी पूरी दिन चर्या में अँग्रेजियत है। इसका दुष्परिणाम.. नारी पर अत्याचार के हजारों प्रकरण रोज हो रहे हैं कश्मीर से कन्याकुमारी तक। स्कूल कालेज अस्पताल निजी संस्थान सब का वही हाल है। चपरासी बाबू अधिकारी डाक्टर शिक्षक प्रोफेसर विद्यार्थी पत्रकार से लेकर नोबेल पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति तक सभी मौके की ताक में रहते हैं, जुगाड़ जमाते हैं। यह साक्षात्कार भी इसी जुगाड़ का एक हिस्सा है। इन मामलों में सभी अपने पद की गरिमा भूल वहशी हो जाते हैं। यामिनी पति सास ससुर और बच्चे वाली होती तो उसकी नियुक्ति की सोचते भी नहीं ये चांडाल तिकड़ी। उन्हें तो मजबूर लड़की की तलाश थी जिसके आगे पीछे कोई पुरुष [ रक्षक ] न हो । और यामिनी से बेहतर कौन हो सकती थी ।
आपको कथा अच्छी लगी हृदय से धन्यवाद आभार ।
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
आदरणीय ओमप्रकाश भाईजी
कथा पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ ,प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद , आभार