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आदरणीय जितेन्द्र भाई ,
आप लघु कथा में माहिर हैं, आप से बेहतर की उम्मीद रखते हैं लेकिन असुरक्षित बुनियाद पढ़कर निराशा हुई। कथा विषय तक पहुँच नहीं पाई ।
इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई
जीवन में बच्चे का ही आसरा होता है | बहुत खूब जितेन्द्र पस्तारिया जी
बुनियाद ( लघुकथा )
" मेडम , बेटी का औसत वार्षिक परीक्षा परिणाम देखकर मैं बहुत हैरान हूँ । उसकी मेहनत को देखते हुए प्रथम श्रेणी से कम की बिलकुल उम्मीद न थी मुझे ।"
" मिo बनर्जी , आपकी बेटी पढ़ाई में औसत है , उसे उत्तम परीक्षा परिणाम के लिए योग्य ' ट्यूटर ' की सख़्त आवश्यकता है , इसकी लिखित सूचना सत्र के प्रारम्भ में ही दे दी गई थी ।"
" जी । मैंने भी लिखे अनुसार फ़ौरन बेटी के लिए योग्य ' ट्यूटर ' की व्यवस्था कर दी थी । "
" मिo बनर्जी , ' ट्यूटर ' की योग्यता क्या हो ? अगर ये संकेत भी समझ लेते तो ....। "
मौलिक व अप्रकाशित ।
आदरणीया शशि जी, बहुत बढ़िया कथानक को सधे कथ्य और कसावट से आपने एक शानदार लघुकथा में बदल दिया. आज मेहनत के बावजूद तथाकथित योग्य ' ट्यूटर ' की अपेक्षाओं पर खरा न उतरने अर्थात उनकी 'सख़्त आवश्यकता' के 'संकेत ' को न समझने के कारण 'औसत वार्षिक परीक्षा परिणाम' मिलता है. इस लघुकथा में आपका शब्द चातुर्य चकित भी कर रहा है और मुग्ध भी. एक एक शब्द मोती जैसा जड़ा हुआ. एक भी शब्द हटाया तो रचना के खुलने की चाबी गुम. मेरे हिसाब से एक आदर्श लघुकथा हुई है. एक उत्कृष्ट लघुकथा का पाठक बनाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद तथा लघुकथा विधा के बिलकुल नए अभ्यासी को बढ़िया पाठ देने के लिए हार्दिक आभार. इस प्रस्तुति के लिए ढेर सारी दाद और दुआएं.....
"ट्यूटर की योग्यता क्या हो? अगर ये संकेत भी समझ लेते तो...." गजब की पंच लाइन है आदरणीय शशि जी, शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा| ऐसे कई शिक्षक भी हैं जो ट्यूशन पढ़ाने के लिये क्या कुछ नहीं कर गुजरते| हार्दिक बधाई आपको इस शानदार लघुकथा के लिये|
आ शशि बंसल जी ,इस सधी हुई लघुकथा कर लिए बहुत बधाई आपको
बहुत बेहतरीन पंच आदरणीया शशि बंसल जी , बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए.
सटीक पंच । बहुत सुन्दर , सुगठित, संक्षिप्त , प्रभावशाली लघुकथा , बधाई आपको आ. शशि बंसल जी।
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