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आदरणीय माला झा जी आप की लघुकथा पर त्वरित टिप्पणी के लिए आभार .
आदरणीय शेख जी मैंने किसी का पक्ष नहीं लिया है. लघुकथा के पात्र जैसे कहते चले गए वैसा मैंने लिखा दिया है. हाँ , यह बात दूसरी है कि मैं पुरुष पात्र की जगह रह कर सोचता तो पुरुष पात्र की तरफदारी करता. मगर मैं ऐसा कर नहीं पाया.
सुन्दर कथा लिव इन रिलेशन शिप पर आदरणीय जी ।
लिविंग इन रिलेशन शिप हो या न हो किन्तु एक बात तो सच है की लडकियां आज कल काफी जागरूक हो गई हैं दिमाग से सोचने लगी हैं प्यार अंधा होता है उस कहावत में ,अवधारणा में धीरे धीरे चेंज आ रहा है ...अब इतना भी अँधा नहीं रहा ....दुसरे लिविंग इन रीलेशिप में कोई बाध्यता नहीं होती की वो जीवन साथी बनेंगे या नहीं ..ये आज की पीढ़ी है वक़्त बदल रहा है सचमुच |
एक अलग विषय पर लिखी लघु कथा अच्छी बनी है बहुत बहुत बधाई आ० ओमप्रकाश जी |
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