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आदरणीय उस्मानी जी मूल रूप से मैं पद्य विधाओं का अभ्यासी हूँ. इस आयोजन की कार्यशाला में अभ्यास के लिए उपस्थित होता हूँ और एक पाठक की हैसियत से अपने विचार रखता हूँ. गद्य की इस विशिष्ट विधा को केवल समझने के प्रयास के क्रम में हूँ. सादर
सेर के सवा सेर ----आप पद्य के साथ गद्य के भी महारथी है ये आपकी प्रस्तुति से ही मालूम पड़ती है आदरणीय मिथिलेश जी। सादर अभिनन्दन आपको।
आदरणीय उस्मानी जी ,आपकी कहानी एक लड़की की जिद और पारिवारिक चालों फलस्वरूप विघटन का बाखूब वर्णन कर रही है . पर क्या आपको नहीं लग रहा कि ये कहीं न कहीं लघु कथा की सीमाओं का अतिक्रमण कर जाती प्रतीत हो रही है ?
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