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आदरणीय मदनलाल जी प्रतिक्रिया यथास्थान की गई है सादर
वाह वाह, क्या शतरंज की बिसात बिछाई है आ० मदनलाल श्रीमाली जी. लघुकथा चुस्त और सधी हुई शैली में और पूरी तरह प्रदत्त विषय से न्याय करती हुई कही गई है जो अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रही. हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
प्रदत्त विषय को सार्थक करती लघु कथा पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय मदन लाल जी
भयंकर चाल |न लेना मात दे गया|बधाई आदरणीय
हार्दिक बधाई आदरणीय मदनलाल श्रीमाली जी!शतरंज़ शीर्षक को कितना सटीक तरीके से पेश किया है!बहुत सुंदर लघुकथा !आपकी लेखन शैली के हम पहले से ही कायल हैं!आनंद आ गया!
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