Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय योगराज सर प्रस्तुति पर आपकी ऊर्जावान स्नेहाशीष का हार्दिक आभार।
आदरणीया नीता जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
''नहीं रे देव , देख जानकी बहु थक गयी है ,अच्छा होगा अब हम भी बाकी मेहमानों की तरह अपने घर जाएँ। तुम्हारे बुलाने से हम यहां आ गए , तुम्हारी शादी के शोभा बढ़ गयी , शादी संपन्न हो गयी , रिश्तों की बिसात पर मोहरों का काम खत्म हो गया। अब तुम अपनी बिसात सम्भालो , मोहरों को जाने दो। ''
इन मार्मिक पंक्तियों में आज का कड़वा सच समेटे एक उम्दा लघुकथा के लिए आपको बहुत बधाई सुशील सरना जी
आदरणीया मीना जी प्रस्तुति की गहनता पर आपकी आत्मीय स्वीकृति से रचना को जो मान मिला है उसके लिए आपके दिल से आभार।
आदरणीय उस्मानी साहिब प्रस्तुति के मर्म को आपकी आत्मीय स्वीकृति ने एक नयी ऊंचाई प्रदान की है , आपका तहे दिल से शुक्रिया।
पारिवारिक माहौल में लगातार बिगड़ते जा रहे रंग का बड़ा ही खूबसूरत विन्यास मिला है, आदरणीय सुशील सरनाजी. इस सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ
आदरणीय पंकज जोशी जी लघुकथा के मर्म को आपकी स्वीकृति देती प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। प्रस्तुति पर आपके कथन से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ बस रिश्तों की नज़रों के लक्ष्य बदल जाते हैं।
हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!समाज का स्तर कितना निम्न होता जा रहा है कि मॉ बाप भी बोझ होते जा रहे हैं!
आदरणीया तेजवीर सिंह जी प्रस्तुति के मर्म को शक्ति देती आपकी प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |