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अपराध करते करते न जाने किस मोड़ पर आत्म परिवर्तन हो जाए उससे लगता है की इंसानियत अभी जिन्दा है उसके बाद बिसात भी उल्टी हो गई ...बहुत खूब जानकी जी अच्छी लघु कथा लिखी है हार्दिक बधाई
आदरणीया जानकी वाहीजी, आपकी प्रस्तुति का विन्यास क्लिष्ट लगा किन्तु यह अभिनव है.
हार्दिक बधाइयाँ
' समीकरण '
.
बड़े से पांडाल की गहमागहमी में वो असहज महसूस कर रही थी Iनेतानुमा लोग बड़ी तादाद में थे I
"अनीता मैडम ?"
"जी ,जी हाँ "I
"मैं शर्मा ,इस समारोह का आयोजक Iबैठिये आप "I
"ये मेरा पहला ही संकलन है और आपने मुझे सम्मान के लिए भी बुला लिया Iधन्यवाद आपकी संस्था का I"झिझक ,उत्साह ,ख़ुशी तीनों का मिश्रण था उसकी आवाज़ में I
"आप बेशक नई हैं इस लिखने के फील्ड में ,पर हमारी संस्था तो पिछले सात सालों से आयोजन करवा रही है पुरस्कारों और सम्मानों काI"
"पर मुझे थोडा आश्चर्य भी हुआ जब आपका निमंत्रण मिला "I
""आश्चर्य की क्या बात है ?आप महिला हैं ,आरक्षित वर्ग से आती हैं I वो सामने एक प्रोढ़ महिला दिख रही हैं आपको ?"
"जी "
"वो सकीना जी हैं Iउन्हें भी सम्मान दिला रहे हैं I इसी सत्र से उनकी कुछ कहानी वगेहरा भी डलवाने की कोशिश कर रहे हैं स्कूली किताबों में Iसर जी सब बैलेंस बना के चलते हैं I"
"सर जी कौन ?"
"हमारी पार्टी के जिलाध्यक्ष और इस साहित्यिक संस्था के संरक्षक "I
"अब आपकी बात समझ आ रही है "लेखनी के सम्मान की ख़ुशी कहीं अन्दर धीरे धीरे पिघल रही थी I
"आपको सम्मान मिलेगा तो आपके लोगों में भी हमारे लिए विशवास पैदा होगा ,है कि नहीं ?अब शर्मा जी खुलकर बोल रहे थे I
"जी बिल्कुल सही समीकरण है Iशर्मा जी , मेरे इस संकलन में एक कहानी है ' मोहरे 'आप पढना ज़रूर" I
"अरे कहानी वहानी पढने की फुर्सत कहाँ , पर आप खड़ी क्यों हो गईं ?तीसरे नंबर पर है आपका सम्मान "I
"मैंने अपनी इस कहानी के सारे पात्रों को यहाँ अपने आस पास जीता जागता चलता फिरता देख लिया है I इससे बडा और क्या सम्मान होगा मेरे लिए ?आप जारी रखें अपना खेल ,मैं चलती हूं"I
.
मौलिक व् अप्रकाशित
कथा पर प्रस्तुत होकर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी
आदरणीया प्रतिभा जी इस प्रस्तुति पर मुग्ध हूँ, चकित भी. दिल खुश कर दिया आपने. इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई दे रहा हूँ. लघुकथा पर पुनः आता हूँ. सादर
आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त विषय के अनुरूप कथानक बुनना और सधे ढंग से शाब्दिक किया जाना तो प्रशंसनीय है ही, लेकिन जिस उच्च विचार और सन्देश को यह लघुकथा प्रेषित कर रही है वह भी नवीनता के साथ प्रभावकारी भी है. कथा का प्रवाह और आपकी प्रस्तुति दोनों अद्भुत है. इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई दे रहा हूँ. आपकी कलम सदैव कमाल करती है. सादर
आपकी उत्साहवर्धन करती हुई स्नेहिल प्रतिक्रिया से मै अभिभूत हूँ ,हार्दिक आभार स्वीकार करें आदरणीय अखिलेश जी
आदरणीया प्रतिभा जी मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका .
आज आदरणीय अखिलेश सर तो मंच पर उपस्थित है ही नहीं.................... हा हा हा
टंकण त्रुटी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ,आदरणीय मिथिलेश जी
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