For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" श्रद्धा और अक़ीदत " - [ लघुकथा ] 32 __शेख़ शहज़ाद उस्मानी

जब नदीम उसके साथ चिंताहरण मंदिर में चल रही योगासन कक्षा में शामिल हो सकता है, तो वह उसके साथ मस्जिद में नमाज़ क्यों नहीं अदा कर सकता ? उसकी फ़रमाइश को नदीम हमेशा टाल देता है। मस्जिद न सही आज ईद के दिन सड़क पर तो नमाज़ में शामिल हो सकता है वह ! कौन समझ पायेगा ? वह भी तो महसूस करना चाहता है कि कैसा लगता है नमाज़ अदा करने में ! ये सब सोचकर नीली पोषाक पहने हुए विनोद अपने धार्मिक झाँकी वाले जुलूस में से निकल कर सड़क पर लगी जमात में नदीम को बग़ैेर बताये ठीक उसी के पीछे बैठ गया। ईद की नमाज़ का वक़्त हो गया था, तो किसी का भी ध्यान उस पर नहीं जा पाया।
नमाज़ सम्पन्न होते ही नदीम अपने ठीक पीछे विनोद को देखकर चौंक गया।

"तुम ! क्या कर रहे हो यार, कोई लफड़ा करवाना है क्या ? चलो, यहाँ से चलते हैं ज़ल्दी से !"

"नदीम, तुम घबरा क्यों रहे हो, कोई कुछ नहीं कहेगा, किसी को भी इतनी फुरसत नहीं है यहाँ !"

दोनों ज़ल्दी से निकल कर उस झाँकी वाले जुलूस में शामिल हो गये जो अभी सड़क की दूसरी तरफ ही था।

"हाँ यार, लोग सही कहते हैं कि तुम्हारी 'नमाज़' हमारे 'योग' जैसी ही है !" - विनोद ने नदीम से कहा।

"नहीं भाई, 'योग' योग जैसा है, 'ध्यान' ध्यान जैसा है, और 'नमाज़' नमाज़ जैसी है, इसमें कोई तेरी, मेरी का सवाल नहीं है। जो सच्चे दिल से, श्रद्धा-समर्पण से , अक़ीदत से अदा करे उसी की है !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 4:34am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 17, 2015 at 11:19pm
अपना क़ीमती समय देकर इतनी विश्लेष्णात्मक टिप्पणी कर समझाइश बख़ूबी देने व प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2015 at 4:29pm

’मन के चोर’ और ’अभिनव अनुभूति के प्रति जिज्ञासा’ के अन्तर को तार्किक ढंग से प्रस्तुत करने के इस साहसी प्रयास केलिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी. आपकी लघुकथा प्रस्तुति का तथ्य अत्यंत सामयिक तथा उतना ही प्रासंगिक है.

इसके प्रस्तुतीकरण को तनिक और सँवारा जा सकता है, इसमें शक़ नहीं. लेकिन कथानक अपने आप में समृद्ध है और कथ्य का सार्थक निर्वहन हुआ है. आगे, अभ्यास के अनुसार प्रस्तुतीकरण में आवश्यक सहजता आती जायेगी. 

एक क्लिष्ट विषय को सहजता से प्रस्तुत करना लघुकथा का वैधानिक गुण हुआ करता है. इस विन्दु को अवश्य ही यह लघुकथा अत्यंत सहजता से संतुष्ट कररही है. 

शुभ-शुभ

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 14, 2015 at 2:09am
हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी लघु-कथा पृष्ठ पर उपस्थित हो कर टिप्पणी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 13, 2015 at 9:49pm
उम्दा लघुकथा हुई है आदरणीय शेख शहज़ाद जी।बधाई
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 13, 2015 at 9:32pm
आदरणीय बरुण सखाजी साहब, आपकी टिप्पणी "इसी विचार को और बेहतरी से पेश किया जा सकता था।" से मुझे पूरा लाभ तभी मिल सकेगा, जब आप पूरी तरह से बात स्पष्ट कर मुझे मार्गदर्शन भी देने की कृपा करें। सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 13, 2015 at 9:29pm
सीखने-सिखाने के इस उत्कृष्ट साहित्यिक मंच पर मैं भी आप वरिष्ठ अनुभवी लघु कथाकारों की उत्कृष्ट लघु कथाओं व टिप्पणियों को पढ़कर बहुत कुछ सीख रहा हूँ। मेरी रचना पर उपस्थित हो कर त्वरित प्रतिक्रिया देने व असीम प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Sunil Verma जी, आदरणीय Tej Veer Singh जी व आदरणीय बरुण सखाजी साहब।
Comment by बरुण सखाजी on November 13, 2015 at 6:51pm
इसी विचार को और बेहतरी से पेश किया जा सकता था।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 13, 2015 at 11:37am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी  जी!अच्छा संदेश देती हुई शानदार  लघुकथा!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 13, 2015 at 10:49am
त्वरित प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद मोहतरमा राहिला जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय को सार्थक करतीब हुत बढ़िया दोहावली की प्रस्तुति। इस…"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आपने पर्यावरण के विभिन्न आयामों को सम्मिलित करते हुए एक बढ़िया प्रस्तुति दी…"
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रदत्त विषय पर बढ़िया कुंडलिया छंद हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। इस प्रस्तुति…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"धुंध गहरी और खाई दिख रही है  अब तरक्की में तबाही दिख रही है। बोझ से घायल हुआ सीना जमीं…"
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service