For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"खोटा साजन" - [लघुकथा] 31 __शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"खोटा साजन" - (लघुकथा)

"ठीक है कि तुम माँ-बाप पर बोझ नहीं हो, प्राइवेट स्कूल से कुछ कमा लेती हो, लेकिन अब तुम्हें पति के साथ ही रहना चाहिए।" - विनीता ने अपनी खास सहेली शाहीन को समझाते हुये कहा।

बड़े सपने देखने वाली शाहीन इस रिश्ते से ऊब चुकी थी। नम आँखों के साथ उसने कहा - "मुझे क्या पता था कि कोई पोस्ट-ग्रेजुएट आदमी भी साइकिल छाप निकलेगा।मैं इस रिश्ते के लिए सिर्फ इसलिए राजी हुई थी कि उन में क़ाबीलियत देखी सबने। सोचा सरकारी नौकरी लग ही जायेगी । लेकिन वे तो राजा हरीश्चंद्र बने फिरते रहेंगे, न नौकरी, न धंधा कर सकेंगे । मैं नहीं रह सकती उस गांधी जी के साथ, बस !"

"देखो शाहीन, अपना वैवाहिक जीवन यूँ बरबाद मत करो । तुम दोनों मिलकर कोचिंग या ट्यूशन कर सकते हो या ससुराल में ही कोई प्राइवेट स्कूल ज्वाईन कर लेना !"

" यार , एक ही मसला नहीं है ! कहां मैं नये ज़माने की लड़की और कहां वो नमाज़ी-परहेज़ी, ऊपर से शेरो-शायरी और रोज़-रोज़ के मज़हबी प्रवचन, आदर्शवाद के तिहाड़ जेल में कैसे रह पाऊंगी मैं !" - कुछ उत्तेजित होते हुए शाहीन बोली - "मैं पाबंदी, रोक-टोक पसंद नहीं करती ! हमने तो कहलवा दिया है कि काज़ी साहब को बुला लें, उनकी तरफ़ के पाँच और हमारी तरफ़ के पाँच रिश्तेदार एक दिन बैठ कर छोड़-छुट्टी करा लें !"

"सब समझ गई मैं" - हारते हुए विनीता ने कहा - "कसूर तुम्हारा नहीं, तुम्हारी परवरिश और तुम्हारे माँ-बाप का है जिन्होंने लड़के का सिर्फ़ अच्छा ख़ानदान देखा, नौकरी, धन-दौलत और तुम्हारी पसंद को नज़रअंदाज़ करते हुए ! तुम्हें समझ आयेगी तो, लेकिन बहुत देर से ! "

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 4:27am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 4:22am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 4:22am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 14, 2015 at 7:04pm
आदरणीय बैजनाथ शर्मा 'मिन्टू' जी, आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, व आदरणीय सुनील वर्मा जी समसामयिक विषयांतर्गत कथा के मर्म को समझते हुए संदेश की प्रशंसा करने व लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी को ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 14, 2015 at 7:04pm
आदरणीय बैजनाथ शर्मा 'मिन्टू' जी, आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, व आदरणीय सुनील वर्मा जी समसामयिक विषयांतर्गत कथा के मर्म को समझते हुए संदेश की प्रशंसा करने व लेखनी को प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी को ।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 13, 2015 at 2:03pm

आदरणीय उस्मानी साहेब, वर्तमान समय व परिवेश को उजागर करनेवाली  अच्छी व सटीक लघुकथा .......खूब - खूब बधाई|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 12, 2015 at 11:22pm

आदरणीय उस्मानी जी सटीक लघुकथा हुई है. अपने कथ्य के मर्म को शाब्दिक करने में सफल लघुकथा .... हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 12, 2015 at 4:36pm
रचना पर उपस्थित हो कर त्वरित प्रतिक्रिया देने व कथा के संदेश का समर्थन करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय Tej Veer Singh जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 11, 2015 at 6:10pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!घर घर में बच्चों का आचरण बिगडता जा रहा है!मॉ बाप असहाय महसूस करते हैं!बच्चे दिन पर दिन स्वेच्छाचारी हो रहे हैं!शानदार लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service