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आप ने आज के युग के हिसाब से बहुत ही सटीक और झकजोर देने वाली कथा लिखी है आप इसे कथा नहीं सच्ची दास्ता कह सकते है, जिस तरह से मीडिया ने याकूब के जनाज़े को कवरेज किया था, वो बहुत ही शर्मनाक था, आज देश में मीडिया एक ऐसा हथियार बन गया है जिस का ट्रैगर सिर्फ रसूकदार और राजनीतिगय ही दबा सकता है, जो देश की प्रगर्ति के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, खेर छोड़िये ये तो चलता रहता है वोटो के लिए, आप को इस कथा के लिए बधाई
आदरणीय उस्मानी जी बढ़िया कथा हुई है. कथ्य का मर्म भी स्पष्ट है. लेकिन थोड़ा और समय चाह रही है प्रस्तुति. इसे थोड़ा और सटीक और सुगठित किये जाने की सम्भावना शेष है. इस बेहतरीन कथानक पर दिल से बधाई.
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी !मीडिया के चरित्र को उजागर करती सुन्दर लघुकथा!मीडिया चाहे तो हीरो को ज़ीरो करदे और ज़ीरो को हीरो बनादे!
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