For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रँगेहाथों कोई पकड़े तो हक हकलाता बहुत है (हास्य व्यंग ग़ज़ल 'राज'

१२२२ २१२२  १२२२ २१२२

नहीं करना काम कोई मगर दर्शाना बहुत है

छछुंदर सी शक्ल पाई अजी इतराता बहुत है

 

जरा रखना जेब भारी करेगा फिर काम तेरा

सदा भूखी तोंद उसकी भले ही खाया बहुत है

 

वजन रखना बोलने पर जरा भारी बात का तू  

दबा देगा बात को घाघ वो चिल्लाता बहुत है

 

दरोगा वो  गाँव  का देखिये तो  मक्कार कितना

शिकायत लिखता नहीं फालतू हड़काता बहुत है

 

मुहल्ले में शांत रहता मगर उसने बारहा ही   

भिड़ाया है दूसरों को सदा उकसाया बहुत है

 

लगी रहती काम में वो पिया  तोड़े चारपाई

मगर माँ का लाड़ला है भले कमचोरा बहुत है  

 

नहीं आता झूठ भी बोलना उसको देखिये तो

रँगेहाथों कोई पकड़े तो हक हकलाता बहुत है 

 

पड़ोसी है मानने को मरा लेकिन नाग जैसा 

पडा मेरा पाँव उस पर कभी फुफकारा बहुत है

 

रहे प्यासा खून का घूँट पीकर भी बॉस मेरा

न काटे वो गलतियों पर मगर गुर्राता बहुत है

 

सभी बच्चे कांपते हैं मदरसे के मास्टर से

नजर देखो  भेड़िये सी डर उसका छाया बहुत है   

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 15, 2015 at 9:50pm

आ० कल्पना भट्ट जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ इस जर्रानवाजी का बहुत- बहुत शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2015 at 10:33pm

आ० विजय निकोर जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी मेहनत सफल हुई तहे दिल से आभार आपका . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2015 at 10:32pm

आ० मोहन बेगोवाल जी बहुत- बहुत शुक्रिया आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2015 at 10:31pm

मिथिलेश भैया ,आपको ये ग़ज़ल पसंद आई आपकी प्रतिक्रिया से मेरा उत्साह वर्धन हुआ तहे दिल से आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2015 at 10:29pm

राहिला जी ,आपको ये मजाहिया ग़ज़ल पसंद आई मेरा  लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार  आपका. 

Comment by vijay nikore on November 12, 2015 at 3:40pm

आपकी गज़ल पढ़ कर आनन्द आया । बधाई।

Comment by मोहन बेगोवाल on November 8, 2015 at 10:54pm

 आदरणीया राजेश  जी, अच्छी मजाहिया ग़ज़ल की बधाई हो,  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 8, 2015 at 7:02pm

आदरणीया राजेश दीदी बहुत शनदार मजाहिया ग़ज़ल हुई है. सभी अशआर बढ़िया चित्र खींच रहे है लेकिन ये मुझे बहुत पसंद आये-

नहीं करना काम कोई मगर दर्शाना बहुत है

छछुंदर सी शक्ल पाई अजी इतराता बहुत है.............. बढ़िया मतला हुआ है 

वजन रखना बोलने पर जरा भारी बात का तू  

दबा देगा बात को घाघ वो चिल्लाता बहुत है............... ये बढ़िया चित्र है... ऐसे घाघ जी याद आ गए 

दरोगा वो  गाँव  का देखिये तो  मक्कार कितना

शिकायत लिखता नहीं फालतू हड़काता बहुत है............ सही कहा 

लगी रहती काम में वो पिया  तोड़े चारपाई

मगर माँ का लाड़ला है भले कमचोरा बहुत है  ........... क्या खूब चित्र खींचा है 

 

नहीं आता झूठ भी बोलना उसको देखिये तो

रँगेहाथों कोई पकड़े तो हक हकलाता बहुत है .............. बढ़िया 

बहुत बहुत बधाई ..... दीदी 

Comment by Rahila on November 8, 2015 at 3:50pm
बहुत -बहुत खूब, पढ़ कर मजा आ गया । बहुत बधाई आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी! इस बेहतरीन रचना के लिये । सादर नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service