Tags:
Replies are closed for this discussion.
हार्दिक आभार आ. विनय कुमार सिंह जी ! सादर
आदरणीय सुधीर जी, शानदार लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई. चूहे की कुतरने का लाक्षणिक प्रयोग अद्भुत है. दिल खुश हो गया. शानदार वाह वाह ....
आपकी उपस्थिति सदैव मनोबल पुष्ट करती है | हार्दिक आभार आ. मिथलेश जी !
हार्दिक आभार आ. नीता जी
हार्दिक आभार आ. अर्चना त्रिपाठी जी
चूहों के प्रतीक पर, आदरणीय सुधीरजी, आपने ग़ज़ब की मनोवैज्ञानिक रचना प्रस्तुत की है. कुतुर-कुतुर करते चूहों और समाज को लगातार खोखला करते भ्रष्ट कर्मचारियों के बीच का साम्य प्रभावी है. लेकिन सबसे प्रभावी लगा ये लिखा - काम में मशगूल होकर उसे अब कुतर-कुतर की ध्वनि बिलकुल भी नहीं सुनाई दे रही है..
राष्ट्र के प्रति व्याप गयी असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा को आपने बहुत ही गहरायी से समझ कर उसे शाब्दिक किया है आदरणीय.
हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
हार्दिक आभार आ. सौरभ पाण्डेय जी |
बहुत सुन्दर रचना है ,बिल्कुलअलग ही आलोक में प्रस्तुत किया है आपने प्रदत्त विषय को ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुधीर जी
संकल्प
-------
‘ अभी तक जितनी लड़कियाॅं देखीं हैं उनमें से जिसे कल देख कर आये हैं मुझे तो वह सबसे अच्छी व सुंदर लगी, अपने ‘हर्ष‘ को भी पसंद आई, दोनों इंजीनियर हैं एक ही कंपनी में काम भी करते हैं, एक सी सेलरी भी है, मैं तो कहती हॅूं आज ही लड़की वालों से आगे की बात कर शुभ लग्न देखकर विवाह सम्पन्न कर दो, देरी करना उचित नहीं है‘‘
‘ मैं भी यही सोचता हॅूं। यदि ‘हर्ष‘ का भी यही विचार है तो फिर मैं बात आगे बढ़ाता हॅूं।‘‘
‘‘ हेलो, पाॅंडे जी ! मैं त्रिपाठी, हमें लड़की पसंद है, अब आगे की रूपरेखा के संबंध में बात करना है, यदि आप यहाॅं आ जायें तो अच्छा होगा‘‘
‘‘ओहो, नमस्कार त्रिपाठी जी!, मैं आपके आदेश का पालन करनें हेतु अभी आपके पास हाजिर होता हॅूं । ... ... ...
‘‘आइये, आइये पाॅंडे जी! यहाँ बैठिये। - - - वास्तव में, मैं यह जानना चाह रहा था कि आपका संकल्प क्या है?‘‘
‘‘आदरणीय! मेरा संकल्प तो यह है कि, भगवान ने मुझे लड़कियाॅं ही दी हैं इसलिये उन्हें लड़कों के समान ही शिक्षित कर आत्मनिर्भर बना दॅूं, बस, धीरे धीरे वही पूरा करता जा रहा हॅूं।‘‘
‘‘अरे पाॅंडे जी! वह तो सभी करते हैं, मैं तो इस विवाह के संबंध में किये गये आपके संकल्प के बारे में पूछ रहा था अर्थात् कितना खर्च करने का विचार है?‘‘
‘‘आप ही बता दें कि आप कम से कम कितना खर्च करना चाहते हैं‘‘
‘‘ इस जमाने में दस से पन्द्रह लाख तो साधारण लोग भी खर्च कर देते हैं फिर हमारा स्तर तो,,, आप जानते ही हैं‘‘
‘‘महोदय! जहाॅं तक मैं जानता हॅूं, ‘संबंध‘ का अर्थ है ‘सम प्लस बंध‘, अर्थात् दोनों परिवारों की ओर से प्रेम और आकर्षण के एक समान बंधन, इक्वल बाॅडस् आफ लव एन्ड अफेक्शन , इसलिये आप जो भी खर्च निर्धारित करेंगे हम दोनों परिवार बराबर बराबर बाॅंट लेंगे, ठीक है?‘‘
"‘अच्छा, पाॅंडे जी! फिर तो हमें इस विकल्प पर विचार करना पड़ेगा, नमस्कार!‘‘
"मौलिक व अप्रकाशित"
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |