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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 61 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-62

विषय - "पहल"

आयोजन की अवधि- 11 दिसंबर 2015, दिन शुक्रवार से 12 दिसंबर 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 दिसंबर 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

दोनों रचनाओं पर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी। कृपया कमियां भी बताकर आप सभी काव्य-विधा मार्गदर्शन प्रदान करियेगा।

कितने सारे रंगों के साथ कटु यथार्थ  को परोसा है आपने आदरणीय , बहुत सार्थक रचना  रची है आपने ,  हार्दिक बधाई इस रचना पर आपको आदरणीय उस्मानी जी 

रचनाओं के मर्म को समझते हुए सराहना हेतु बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।

दोनों रचनाएँ प्रदत्त विषय के साथ न्याय कर रही है I इन प्रभावशाली और प्रभावोत्पादक कवितायों के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें I

आपकी उपस्थिति व प्रोत्साहन प्रदान करने वाली टिप्पणी मुझे निश्चित रूप से निराश होने से बचायेगी। हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गुरुजी श्री योगराज प्रभाकर जी ।
कम समय देकर सामान्य प्रयास से रची गई इन कविताओं की सराहना करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कल्पना भट्ट जी।

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानीजी, आपकी दोनों रचनायें प्रदत्त शीर्षक को संतुष्ट करती हुई हैं. लेकिन ऐसी रचनाओं विचार का प्राधान्य होता है. पहली रचना बहुत कसावट माँगती है. दूसरी शब्द-कौतुक है. लेकिन आपके प्रयास की पहल का अवश्य भान होता है.

आयोजन में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनाएँ

सररचनाओं को अपना अमूल्य समय देकर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी। कसावट, शब्द-कौतुक , शिल्प, विधा, गेयता आदि के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण की ज़रूरत है मुझे। सादर निवेदन है मार्गदर्शन हेतु।

धर्म ग्रंथ, धर्म-कर्म
और विज्ञान !
देश-प्रेम, विश्व-बंधुत्व की
पहल का
तर्कसंगत, नीति-संगत
विधि-विधान !
पहल करते, पहल कराते
काश गुरूजन, धर्म-गुरु
और
सामाजिक संस्थान !

बहुत सुंदर आदरणीय .... प्रदत विषय को जीवंत करती इस सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय शेख उस्मानी साहिब। दूसरी कविता भी अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल है। हार्दिक बधाई दोनों प्रस्तुतियों के लिए।

दोनों रचनाओं पर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना जी। कृपया विस्तार से बताईयेगा कि किस विधा के अंतर्गत ये मान्य हैं या नहीं हैं और क्या सुधार करने होंगे। सादर।
दोनों कविताएँ अपने लक्ष्य का सन्धान करती हुई सुन्दर कृतियाँ हैं।बधाई स्वीकारें आदरणीय उस्मानी जी।
स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी।

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