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मुमताज़ जी,
आपकी ग़ज़ल की क्या तारीफ करूँ
जो कहूँगा कम ही होगा
रदीफ़ काफ़िए को इस सुंदर तरीके से निभा ले जाना हर शेर पर दिल से वाह वाह कहता रह गया
सच तो यह है की आपकी ग़ज़ल ने मंत्रमुग्ध दिया
वाह वाह
venus kesari
आदरणीय मुमताज़ जी
सबसे पहले तो इतनी ख़ूबसूरत गज़ल के लिए ढेरों दाद कबूलिये|हर शेर आपके कलाम कि पुख्तगी का दस्तावेज़ है|
अक्सर आपको मैं यहां पर इसलिए खींचकर ले आता हूँ कि हम सबको पता चले कि अच्छी गज़ल क्या होती है|
यहाँ मैं तिलक जी की बात से पूरी तरह इत्तिफाक रखता हूँ|
this is best gazal of this tarahi mushayaraa
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