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जनाब राजेन्द्र कुमार साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी
बहुत बढ़िया लघुकथा है आ० तसदीक़ अहमद खान जी, हार्दिक बधाई स्वीकारेंI ओबीओ मंच पर ही भाई गणेश बाग़ी जी की एक लघुकथा "श्रेष्ठ कौन" अवश्य पढिएगाI आपकी लघुकथा पढ़ते हुए वह रचना याद आ गईI
मोहतरम जनाब योगराज साहिब ,आपके हिम्मत बढ़ाने वाले सुन्दर कमेंट्स और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी
प्रतीकात्मक शैली में लिखी बेहतरीन लघुकथा।बधाई स्वीकार करें सरजी।
मोहतरमा माला साहिबा ,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी
आदरणीय तस्दीक जी, बिलकुल सही बात है सबका अपना अपना रंग होता है, महत्त्व होता है. अपने शीर्षक को सार्थक करती बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर
मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहिब , हिम्मत बढ़ाने वाले कमेंट्स और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,मेहरबानी
हार्दिक आभार आदरणीय
सब मिट्टी से आये हैं और लौट के जाना भी वहीँ है ,फिर घमंड कैसा , सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय तस्दीक जी
मोहतरमा प्रतिभा साहिबा , ,उत्साहवर्धक कमेंट्स और हौसलाअफजाई का तहे दिल से शुक्रिया, मेहरबानी। ......
केवल मैं ही हूँ, यह धारणा पालने वाला कई बार भूल जाता है कि कोई भी कार्य बिना दूसरों की मदद के संपन्न नहीं हो सकता| आपकी रचना में सन्देश पूरी तरह स्पष्ट है| हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
जनाब चंद्रेश कुमार जी ,उत्साहवर्धक कमेंट्स और हौसलाअफजाई का तहे दिल से शुक्रिया, मेहरबानी। ......
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