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कम शब्दों में बहुत बढ़िया सृजन, बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको आ समर साहब
बहुत-बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए सादर |
दरवाज़े पर बंधा टॉमी और कुसुम देवी ,वाह सच है राजनैतिक जीवन की मजबूरी क्या नहीं करवा देती , कटाक्ष का तीर सही मर्म पर लगा है आपका , हार्दिक बधाई इस रचना पर आपको आदरणीया कांता जी
बहुत ही बढि़या है लघुकथा आदरणीय, सादर |
दो युगों के प्रेम के रंग की तुलना करती अद्भुत रचना ,बधाई आदरणीय सादर
राजनीति के कुत्सित रंगों को उजागर करती एक बेहतरीन कथा !बधाई स्वीकार करें आदरणीया कांता जी।
आधुनिक ब्यूटी को अच्छे से परिभाषित किया आपने आ समर कबीर जी।बधाई स्वीकार करें।
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