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आदर्निया निता जि अच्चा सबक देति कथा बद्ध्हाइ
aadarniya sundar katha ati bhrastt police ki sachai ujagar ki
आदरणीया नीता जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर
आ० नीता कसार जी, यह लघुकथा बहुत ही जल्बाजी और हड़बड़ी में लिखी हुई व पोस्ट की हुई लगती हैI न तो पंकचुएशन ही दुरुस्त है न ही प्रस्तुतिI आप ओबीओ मंच से पुरस्कृत रचनाकार हैं, अत: आपको उस गरिमा को कायम रखना हैI लघुकथा में नाटकीयता ज्यादा है और स्वाभाविकता बहुत ही कमI बहरहाल, प्रतिभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारेंI
मोहतरमा नीता साहिबा , बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हार्दिक बधाई आदरणीय नीता कसार जी!बेहतरीन प्रस्तुति!रंग में भंग और जैसे को तैसा दो दो मुहावरों को चरितार्थ करती शानदार लघुकथा!
बहुत बढ़िया ट्विस्ट नीता जी। चोरों पर मोर। कहानी का यह अंत होगा , पाठक सोच भी नहीं पाता और चकित रह जाता है। ( मैं तो प्रसन्न भी हुआ कि अनिल ने सही किया ) . बधाई। कुछ छोटी मोटी गडबड शिल्प के स्तर पर आपसे रह गई , यह विश्वास करने का मन नहीं हो रहा। पर सच तो सच है। आशा है आप बुरा नहीं मानेंगी। मानें तो एडवांस में क्षमा मांग लेता हूँ।
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