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अच्छी प्रेरणादायक लघुकथा है आ० अर्चना त्रिपाठी जी, बधाई स्वीकारेंI
मोहतरमा अर्चना जी ,सन्देश देती सुन्दर रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
परस्थितिवश व्यक्ति में चिडचिडापन आ ही जाता है, हिमालय की सफ़ेद बर्फ को दूर से सूर्य की रौशनी में देखें तो आँखे चुंधिया जाती ही हैं, लेकिन हिमालय में प्रकृति के और भी कितने ही रंग छिपे हैं जो उसे एक्स्प्लोर करने पर ही पता चलते हैं दूर से नहीं| रंगों के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखाती इस रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
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