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रंग लघुकथा (नए रंग का माहौल)
“ऐसे वैसे से शीना मेरिज नहीं करेगी माई डियर, मेरे इस रंगरूप के सामने वो स्टेंड ही नहीं कर पा रहा था फिर कोई एन आर आई गोरा चिट्टा होता तो बात अलग थी खैर डोंट वरी उस काले फौजी राजन का मैच तेरे साथ बिल्कुल फिट रहेगा तू कर ले उससे शादी हाहाहा “
शीना ने नीलू के सांवले रंग पर एक उड़ती सी नजर डालते हुए कहा था गोया हमेशा की तरह आज एक और नया थप्पड़ शीना ने उसके गाल पर जड़ दिया हो दिल मसोसकर रह गया था उसका|
“अरे कहाँ खो गई हो नीलू? चलो कैप्टन रोहित की नई नवेली दुल्हन का स्वागत करते हैं ” उसके आकर्षक व्यक्तित्व के धनी पति सी.ओ. कर्नल राजन ने काँधे पर हाथ रखते हुए कहा|
नीलू अचानक मानों नींद से जगी हो ”इस नए रंग के माहौल में तुम्हारा स्वागत है शीना”|
“थैंक्स मिसेज राजन” जमीन में गड़ती हुई सी शीना के मुँह से बस इतना ही निकला |
मौलिक एवं अप्रकाशित
गोरे और सांवले रंग में भेद करने वाले अक्सर मन-मस्तिष्क के भेद भूल जाते हैं, अच्छे व्यक्तित्व तक पहुँचने की एक सीढ़ी रंग भी है लेकिन ना तो पहली और ना ही आखिरी और ना ही ऐसी कि जिसके बिना व्यक्तित्व में निखार नहीं आ सकता हो| इस रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी|
आ० चंद्रेश कुमार जी ,सच कहा रंग भेद मन मस्तिष्क के भेद को भूल जाते हैं जबकि अच्छा व्यक्तित्व अच्छी सीरत रंग पर आधारित नहीं होता किन्तु अफ़सोस कि रंग भेद हर स्थान पर है जो निरर्थक है होना नहीं चाहिए आपका बहुत- बहुत आभार आपको लघु कथा पसंद आई |
आकर्षक व्यक्तित्व और अच्छा आचरण ही सुंदरता का पोषक होता है। रंग -भेद पर आपने बड़ी ही कड़वी सोच को लघुकथा का उद्देश्य बनाया है जो बिलकुल सार्थक और बेहद असरदार रहा। इस अनुपम लघुकथा के लिए दिल से बधाई आपको आदरणीया राजेश जी।
आ० काँता जी ,आपने लघु कथा के मर्म को बखूबी समझा ये एक कतु सत्य है की युवा वर्ग बाहरी सुन्दरता की तरफ ही झुकता है किन्तु सब एक से भी नहीं होते यही इस लघुकथा में दिखाना चाहा है इसमें एक सखी सिर्फ रंग को ही महत्त्व देती है जबकि दूसरी सीरत को और वक़्त उस सखी को आइना दिखाता है कि जिसको रंग के कारण उसने रिजेक्ट कर दिया था आज वो उसके पति का सीनियर है जिसको को सदा यस सर कह कर ही बोलेगा |आपका बहुत बहुत आभार काँता जी|
३-४ पढने के बाद यह लघुकथा समझ आई आ० राजेश कुमारी जीI 8 पंक्ति की लघुकथा मैं 5-5 पात्रों की वजह से उलझ गया थाI बधाई स्वीकारेंI
आ० योगराज जी, आपको लघु कथा समझ में आई इसकी बेहद शुक्रगुजार हूँ दरअसल ये चार पात्र इस लघु कथा की डीमांड थे दो सखी उन दोनों के पति इन चारों का नाम बहुत जरूरी भी था | आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय |
आपकी रचना से इतने संदेश स्पष्ट नज़र आ रहे हैं , आदरणीया। रंग-भेद बुरी बात। दूसरी यह कि ईश्वर उस हर किसी को नीचा अवश्य देखने पर मजबूर करता है जो औरों को बेवज़ह नीचा दिखाता है। तीसरा यह कि शीना के पति का ओहदा नीलू के पति से कभी ऊँचा नहीं हो पाएगा। इस बात से शीना को उम्र भर तकलीफ रहेगी और वह अच्छी तरह समझ जाएगी कि गोरी चमड़ी ही सब कुछ नहीं होती। इतनी छोटी सी रचना और इतनी संदेशपरक ! बधाई राजेश जी।
आ० प्रदीप नील जी ,लघु कथा की रूह तक पंहुच गए आप इसके द्वारा जो सन्देश मैं पंहुचाना चाह रही थी वो सब आप जैसे पैनी नजर वाले पाठक तक पंहुच गए आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे आश्वस्त किया दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
आदरणीया राजेश दीदी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर
मिथिलेश भैया ,आपको लघु कथा पसंद आई दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
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