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आदरणीय Nita Kasar दीदीजी आप का कहना सही है. पत्नी ने अपने पति को समझाने की भरपूर कोशिश कीं मगर जब वह मुसीबत में फंस गया तब भी उस का साथ नहीं छोड़ा. ;यही सच्चे साथी की निशानी है. आप के इस समर्थन के लिए शुक्रिया.
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी आप ने लघुकथा पर अपना अमूल्य व अतुल्य समय व समर्थन दिया. यह मेरे लिए स्मरणीय रहेगा. आभार आप का.
पत्नी द्वारा दिए गए ब्यान ने रचना का रुख ही मोड़ दिया| जबरदस्त पंच के साथ स्त्री का चित्र द्वारा ही ताड़ जाना और अंत में अपने परिवार की रक्षा के लिए पति के पक्ष में बयान, यथार्थ ही है| सादर बधाई आदरणीय सर, इस लघुकथा के सृजन हेतु|
आदरणीय Chandresh Kumar Chhatlani जी आप जैसे सदे हुए लघुकथाकार को लघुकथा पसंद आ जाए. इस से बड़ी बात एक लघुकथाकार के लिए क्या हो सकती है. शुक्रिया आप के समर्थन के लिए.
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी , लघुकथा के इस मासिक आयोजन में इस बार पिछले बार से ज्यादा उम्दा और बेहत्तर लघुकथाएं आई है. एक तरह से कहे तो यहाँ लघुकथाओं का स्तर पहले से बेहतर हो रहा है. यह आप के मार्गदर्शन और यहाँ आयोजन में साहित्यकार साथियों द्वारा बढचढ कर भाग लेने तथा बेबाक टिप्पणी करने एवं उचित मार्गदर्शन देने का परिणाम है कि आयोजन उम्दा से उम्दा होता जा रहा है. यह सब आप की मेहनत का प्रतिफल है. जिस की वजह से यह आयोजन बेहद लोकप्रिय हो रहा है. शुक्रिया आप का और आप के मार्गदर्शन का. आभार सभी साथियों का.
पति को पहले चेताया और फिर बचाया , जीवन साथी होने का फ़र्ज़ निभाते हुए स्त्री होने का फ़र्ज़ भूल जाना , पर ये कटु सत्य भी है हार्दिक बधाई इस रचना पर आपको आदरणीय
आदरणीय शेख उस्मानी जी आप ने गुटबाजी पर एक गंभीर लघुकथा लिखी है. बधाई.
वाह जिंदा बचा लिया आपने ,ईमानदारी को बहुत बहुत बधाई आदरणीय।
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