आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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अपने भारत की तस्वीर के तो रंग ही छीन लिए स्वार्थी भेड़ियों ने उसको अब लूटकर किसी को क्या मिलेगा ..बहुत सुन्दर तरीके से भारत की बदलती तस्वीर को उकेरा है लघु कथा के कैनवास पर .हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० योगराज जी .
हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज भाई जी !देश के वर्तमान हालात पर बेहतरीन कटाक्ष करती शानदार प्रस्तुति!मेरा निवेदन है कि शायद लघुकथा की चौथी पंक्ति के अंत में "भाव" शब्द दो बार भूल से लिखा गया है!सादर!
दिल से शुक्रिया आ० तेजवीर सिंह जी, गलती सुधार ली हैI
आपकी सराहना का दिल से हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जीI
हार्दिक आभार आ० जानकी वाही जीI
रचना पर उपस्थिति और उसकी सराहना के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूँ आ० नीता सैनी जीI
रचना की विषद समीक्षा हेतु हार्दिक आभार भाई उस्मानी जी
इतिहास के चरित्रों के आस पास बुना सटीक ताना बाना ,समय कितना आगे बढ़ जाए कुछ चरित्र बार बार रूप बदल कर हर समय में अवतरित हो जाते हैं , चाहे वो विदेशी आक्रमणकारी हों या फिर घर के भेदी ,, बहुत सीखने को मिलता है आपकी रचनाओं से आदरणीय, धन्यवाद व् हार्दिक बधाई इस रचना पर आपको सादर
बहुत बहुत धन्यवाद आ० प्रतिभा पाण्डेय जीI
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