आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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लघु कथा -----फ़रेब (तमाशबीन )
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शहर के मशहूर प्राइवेट हॉस्पिटल के काउंटर पर भीड़ लगी हुई है ,हॉस्पिटल संचालक और विजय के बीच पेमेंट को लेकर बहस चल रही है ,बहस तकरार में तब्दील होती इस से पहले ही पुलिस बुला ली जाती है ,मीडिया वाले भी पहुँच जाते हैं । पुलिस को देखते ही हॉस्पिटल संचालक कहता है , इंस्पेक्टर साहब यह जनाब एक लाख का पेमेंट दिए बगैर अपने परिचित की लाश लेजाना चाहते हैं। ....... धीरे धीरे वहां तमाशबीन की तरह भीड़ इकठ्ठा हो जाती है ।
इंस्पेक्टर कुछ बोलता उससे पहले ही विजय सच्चाई बयान करते हुए कहने लगा। ...... हॉस्पिटल वालों ने दो दिन किसी ज़िंदा इंसान का नहीं बल्कि एक मुर्दे का इलाज किया है , इस से पहले मेरे एक दोस्त के साथ ऐसा तमाशा हो चुका है , यह लोग मरीज़ को वेंटीलेटर पर लिटा कर ,आई सी यू में रखते हैं और मरीज़ के घर वालों को भी नहीं मिलने देते हैं , इन लोगों ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया है ।
विजय की बात सुनकर इंस्पेक्टर बोल पड़ा। .... तुम्हारे पास इस का क्या सुबूत है ?
विजय ने फ़ौरन अपनी जेब से दो दिन पहले का शहर के दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल का डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर दिखा दिया । .......
तमाशबीन की भीड़ में अब विजय नहीं बल्कि हॉस्पिटल संचालक तमाशा बना हुआ लग रहा था।--------------
(मौलिक व अप्रकाशित )
मोहतरम जनाब विजय शंकर साहिब ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
क्या उस हॉस्पिटल की पोल खोलने के लिए विजय ने अपने उस परिचित को जो पहले ही हॉस्पिटल ने डेड डिक्लेयर कर दिया था भरती किया था ?? यदि हाँ तो उसकी हिम्मत की और आपकी लघु कथा की दाद देनी पड़ेगी | एक बात तो पक्की है ही कि तमाशबीनों का नजरिया बदलने में देर नहीं लगती | बहुत बहुत बधाई आ० तस्दीक जी
मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी । आपका ख्याल बिलकुल सही है , हमारे शहर की यह सत्य घटना है । जिसके साथ यह हादसा हुआ उसने सबक़ सीखने के लिए ऐसा किया । इस मामले को दबाने के लिए हॉस्पिटल वालों को कई लाख रुपए देने पड़े। ........ शुक्रिया
मोहतरम जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरम तस्दीक अहमद खान जी, यह लघुकथा तो अक्षय कुमार की फिल्म (गब्बर इज बैक) के एक दृश्य की अक्षरश: अनुकृति है, ऐसा कैसे हो गया साहिब?
मोहतरम जनाब योगराज साहिब ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी । सर जी यह हमारे शहर की ताज़ा और सत्य घटना है किसी फिल्म का हिस्सा नहीं है । और वैसे भी मैं आजकल की फिल्म नहीं देखता । किसी के साथ जब यह हादसा हुआ तो उसने हॉस्पिटल वालों को सबक सीखने के लिए ऐसा किया , इस बात को दबाने के लिए कई लाख रूपए उस आदमी को देने पड़े। ....... शुक्रिया
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