आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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जनाब सतविंदर कुमार साहिब , यह एक इत्तफ़ाक़ हो सकता है , मैं आजकल की फ़िल्में नहीं देखता , यह मेरे शहर की सत्य घटना है, उस प्राइवेट हॉस्पिटल पर बुरा असर पड़ा है। ...... लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
मोहतरमा नीता कसार साहिबा , लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
आदरणीय तस्दीक जी, कथा एक फ़िल्म के सीन में आ गयी है. सादर.
जनाब शुभ्रांशु साहिब , यह एक इत्तफ़ाक़ हो सकता है , मैं आजकल की फ़िल्में नहीं देखता , यह मेरे शहर की सत्य घटना है, उस प्राइवेट हॉस्पिटल पर बुरा असर पड़ा है। ...... लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी!आजकल ऐसा अस्पतालों में होने लगा है!मैं स्वयं इस तरह की घटना का चश्मदीद गवाह हूं!यह घटना कोटा,राजस्थान में हुई थी!जो समाचार पत्रों और टी वी पर भी दिखाई थी!मेरे एक मित्र के पिता को कोटा के सरकारी अस्पताल( एम बी एस) ने मृत घोषित कर दिया था!लाश लेकर आते समय कुछ लोग कहने लगे कि सरकारी अस्पताल का कोई भरोसा नहीं!एक बार किसी दूसरे अस्पताल में भी दिखालो!अतः वे लोग सुधा होस्पीटल में गये!उन्होंने उस लाश को आई सी यू में रखा और सात दिन बाद मृत घोषित किया!और तीन लाख का बिल पकडा दिया!बाद में बहुत बखेडा हुआ!पुलिस और मीडिया भी आगये!
मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब , सर जी आपने बिलकुल सही फ़रमाया , ऐसी घटनाएं आये दिन हॉस्पिटल्स में होती रहती हैं डॉक्टर्स का प्रोफेशन भी बहुत बदनाम हो चूका है , यह लोग रूपए के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ........ इनको सबक़ सिखाने का वक़्त अब आगया है। ........ हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी
आदरणीय तस्दीक अहमद जी, आपकी यह कथा आज के दौर की सबसे क्लिष्ट असंवेदनशीलता को सामने लाती हुई है. हार्दिक बधाई .. किन्तु, कथा की भावुकता तार्किकता से समझौता करती हुई दिख रही है. इस ओर भी ध्यान रखने की आवश्यकता है.
शुभेच्छाएँ
मोहतरम जनाब सौरभ साहिब ,लघु कथा में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
गब्बर इज़ बैक के अतिरिक्त एक अन्य फिल्म गॉड तुस्सी ग्रेट हो में भी ऐसा ही एक दृश्य है, मुझे लगता है कि इन फिल्मों से प्रेरणा लेकर ही यह बात यथार्थ में कई जगह इम्प्लीमेंट की गयी है| आपकी रचना भी इसी सच को उजागर कर रही है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में इस तरह के (कु)कृत्य होते ही हैं| सादर बधाई आपको इस रचना के सृजन हेतु|
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