आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत बढ़िया रचना विषय पर, ऐसे रिश्तों का हश्र ऐसा ही होता है| बधाई आपको
मोहतरमा शशि बंसल साहिबा , ,प्रदत्त विषय को सार्थक करती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
बढ़िया विषय आदरणीय , देर आए दुरस्त आये ।बधाई ।
लघुकथा बेहद खूबसूरत और प्रदत्त विषयानुरूप हुई है आ० शशि बांसल जी - बहुत बहुत बधाई स्वीकारें I
प्रिय शशि जी, कहानी तो बहुत अच्छी है कोई शक नहीं पर विषय के सन्दर्भ में मुझे ऐसा लगता है कि इतना तालमेल नहीं बैठा पा रही ऐसे रिश्ते को तमाशबीन कैसे कह सकते हैं तमाशबीन तो वो होता है जो ऐसे हालात पैदा करके मजे लेने के लिए उसका तमाशा देखे यहाँ ऐसा तो कुछ नहीं लग रहा
खैर ये हो सकता है मैं ही न समझ पा रही हूँ कहानी तो सुन्दर है ही बहरहाल हार्दिक बधाई .
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