For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (एक प्रयास) // रवि प्रकाश

बहर-SISS SISS SISS SISS

पंथ का आलोक हो गंतव्य का आधार हो तुम।
श्वास का संगीत मधुमय चेतना का द्वार हो तुम।।
प्राण भरते हो हृदय की मौनधर्मी धड़कनों में,
मोहता जो मन अहर्निश स्वप्न वो साकार हो तुम।
भोर की मृदु लालिमा की ओसकण से भेंट जैसे,
कुमुदिनी पे रीझते भ्रमरों का मंत्रोच्चार हो तुम।
मत्त पावस की झड़ी में हो शिखी के नृत्य निश्छल,
कोकिला की रागिनी के उल्लसित उद्गार हो तुम।
सांध्य वेला में हठीली दीपमाला से प्रकाशित,
घन तमस में कौमुदी का विश्व से अभिसार हो तुम।
झूलना,उल्लास,छप्पय,रूपमाला और गाथा,
द्रुतविलंबित,श्लोक मुझको गीत का उपहार हो तुम।
मैं अकिंचन सी किरण मन्वन्तरों से अप्रकाशित,
कोटि नक्षत्रों से दीपित व्योम का विस्तार हो तुम।
मैं तपन मरुथल की निर्मम तुम सुधा के स्रोत निर्मल,
मैं पिपासाकुल कपिंजल स्वाति की जलधार हो तुम।
-मौलिक एवं अप्रकाशित।।

Views: 453

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on May 5, 2016 at 9:53am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय।आपकी टिप्पणी से मन हर्षित हो गया। आशीर्वाद बनाये रखें।
Comment by Ravi Shukla on April 25, 2016 at 2:28pm

आदरणीय रवि प्रकाश जी वाह वाह कितनी सुन्‍दर ग़ज़ल कही है आपने गजल के शिल्‍प पर शुद्ध हिन्‍दी भाषा में कथ्‍य प्रस्‍तुत किया है । अदभुत 

50 लोग पढ़ कर गये किन्‍तु किसी ने भी कोई टिप्‍पणी नहीं की आश्‍चर्य है ।

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना और भाव भी सहज संप्रेषित होते हुए ।  आपकी रचना बहुत पसंद आई बहुत बहुत धन्‍यवाद

गजल और गीत विधा पर इस मंच में कई लोग समान रूप से सक्रिय और सम्‍मनित रूप से स्‍वीकार्य है । उन आदरणीय हस्‍ताक्षरों की प्रतिक्रिया की हमें भी प्रतीक्षा रहेगी  । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
8 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service