आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!
बहुत सुंदर कथा सखी, ये षडयंत्र तो प्रकृतिजन्य है बहुत सुंदर कथानक बहुत बहुत बधाई आपको.
बढ़िया कथा आदरणीय तेजवीर जी.. जब सास रूपी माँ अपना कर्तव्य भूल जायेगी तो अजन्मी संतान का माँ को सजग करना , आवश्यक भी है बधाई आपको.
हार्दिक आभार आदरणीय जानकी जी!
इस बिषय पर लिखा गया हर शब्द प्रप्रशंसनीय है ,आदरणीय तेज वीर जी ।
हार्दिक आभार आदरणीय पवन जी!
हार्दिक आभार आदरणीय सीमा सिंह जी!
बढ़िया लघुकथा हुई है आ० जानकी वाही जी, बधाई प्रेषित हैI बाकी सब ठीक है, लेकिन अंत वाला संवाद हनुमान जी की पूँछ जैसा लंबा हो गया हैI उसको दो हिस्सों में करने का प्रयास करेंI "ज़र, जोरू और ज़मीन के लिए" को कथा की पञ्च-लाईन बनाइये I
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