आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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इसको उपदेशात्मक नहीं संदेशात्मक कहते हैं भाई सुनील वर्मा जीI कुछेक साल हमारे साथ ही प्रयासरत व अभ्यासरत रहें, "अपने मतलब का" ढूँढने का हुनर भी आ जायेगाI
लघुकथा अपना आकार स्वयं निर्धारित करती है भाई सुनील कुमार जीI अब समय आ गया है कि लघुकथाकार चंद पंक्तिओं की wit story लिखने की प्रवृत्ति त्याग कर ऐसी रचनाये रचें जो कथा लगती हों I
लघुकथा भी एक कथा ही है. अलबत्ता, अपने विन्यास के कारण इसकी शैली नितांत भिन्न है. कथा में कथानक और वातावरण एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू हुआ करते हैं. जिनके बिना कोई कथ्य कथा बन ही नहीं सकता.
आदरणीय योगराज भाईजी, आपने इस टिप्पणी के माध्यम से एक बहुत ही तार्किक और सार्थक बात की है जो इस मंच पर अबतक आ रही लघुकथाओं के लिहाज से रचनाकारों और पाठकों का दृष्टिकोण बदल देगी. प्रारम्भ में प्रस्तुतीकरण के कई विन्दुओं पर विशेष चर्चा के न होने के कई कारण थे. लेकिन, अब प्रस्तुतियों का स्तर ऐसा अवश्य हो गया है कि अन्यान्य पहलुओं पर सार्थक और खुलकर बात की जाय.
तथ्य को इस दृढ़ता से रखने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय योगराज भाईजी.
वैसे मेरी यह टिप्पणी आपकी उपर्युक्त टिप्पणी पर ही संकेन्द्रित है. न कि भाई गणेश जी की प्रस्तुति पर ..
शुभ-शुभ
तथ्यों को स्पष्ट करने हेतु आभार आदरणीय गुरुदेव योगराज प्रभाकर जी.
आदरणीय सुनील जी, आपकी बेबाक टिप्पणी हेतु सर्वप्रथम आभार व्यक्त करता हूँ. लघुकथा कुछ लम्बी अवश्य हुई है किन्तु यह कथा की माँग रही है, लघुकथा को उपदेशात्मक नहीं अपितु संदेशात्मक रखने का प्रयास अवश्य हुआ है. टिप्पणियाँ केवल सकरात्मक ही नहीं बल्कि यदि पाठक को ऐसा लगे तो नकरात्मक टिप्पणी भी आनी चाहिए , क्योंकि अंततः हम पाठक के लिए ही रचना कर्म करते है यदि पाठक को ही लेखन पसंद न हो तो लिखने से कोई फायदा नहीं है अतः क्षमा प्रार्थी की कोई बात नहीं है.
पुनः आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभार.
"लघुकथा कैसे कहे .." की बानगी ! आभार इस हेतु आ. बागी जी .
आपकी प्रतिक्रिया हेतु हृदय तल से आभार आदरणीय सुधीर द्विवेदी जी.
वाह! बहुत ही सुंदर कथा आदरणीय बागी जी. कथा कैसे कहें? और कथा से कैसे कहें ? इसकी नई नजीर है आपकी यह कथा.. ह्रदय से अभिनंदन सर.
आदरणीया सीमा जी, उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार.
बेहद ख़ूबसूरत संकेतात्मक भाव-प्रस्तुति. पंक्ति दर पंक्ति कुशलता से पलटता बदलता विचार वाह .
आदरणीय बागी जी ,शीर्षक को सार्थक करते उपदेशात्मक कथोपकथन हेतु बधाई।
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